कैद-ए-रिहाई

ख़यालों की रहगुज़र से,

जरा बच कर गुज़रना,

कहीं वो हसीन हमनशीने,

और उनकी सुनहरी यादें,

तुझे अपने ख़यालों की गिरफ्त से,

इस बार कैद-ए-रिहाई ही न दे

                  - अभय सुशीला जगन्नाथ




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