तो मैं क्या लिखूं

हर कली-फूल सोचे, 

काश ! तुझसी दिखूं 

और मुझे अल्फ़ाज़ ना मिले,

तो मैं क्या लिखूं


        - अभय सुशीला जगन्नाथ


देखकर तुझ को,

एक यकीन होता है,

कभी भी नहीं, 

कहीं भी नहीं, 

इत्तेफ़ाक़ से...

किसी जगह भी नहीं !

कोई भी ना तुझसा,

बेइंतहां हसीन होता है


             - अभय सुशीला जगन्नाथ



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