ग़मां दी रात लंमी ए



 

ग़मां दी रात लंमी ए

जां मेरे गीत लंमे ने ।

ना भैड़ी रात मुक्कदी ए,

ना मेरे गीत मुक्कदे ने ।

ग़मों की रात लम्बी है

या मेरे गीत लम्बे हैं 

ना ये बुरी रात थमती है

ना मेरे गीत थमते हैं 

Long is the night of sorrows

Or long mine mournful song

This damned night has no end

Nor stops the flow of my songs


इह सर किन्ने कु डूंघे ने

किसे ने हाथ ना पाई,

ना बरसातां च चढ़दे ने

ते ना औड़ां च सुक्कदे ने ।


ये तालाब कितने गहरे हैं

किसी ने गहरायी न नापा 

ना बरसातों में उफान तक आये 

और न सूखे में सूखे 


How deep do these waters run?

Who has touched the surface?

No rains urge an overflow

No drought could run them dry


मेरे हड्ड ही अवल्ले ने

जो अग्ग लायआं नहीं सड़दे

ना सड़दे हउक्यां दे नाल

हावां नाल धुखदे ने ।

मेरी हड्डियां भी बुरी हैं

जो न आग में जलतीं है

ना आहों से पिघलती है

ना हवा से सुलगती हैं 


My bones have a rot to them

They burn not in flames

Nor do sighs melt them

Nor does wind set them alight


इह फट्ट हन इश्क दे यारो

इहनां दी की दवा होवे

इह हत्थ लायआं वी दुखदे ने

मल्हिम लायआं वी दुखदे ने ।


ये ज़ख्म इश्क़ के हैं यारो

इन की न कोई दवा है 

हाथ लगाओ तो भी दुखे

मलहम लगाओ तो भी दुखे 


These be the ‘wounds of love’ friends

They find no cures never

If ye touch them they smart

If ye soothe with balms, they smart


जे गोरी रात है चन्न दी

तां काली रात है किस दी ?

ना लुकदे तारयां विच चन्न

ना तारे चन्न च लुकदे ने ।

ये गोरी रात है चाँद की

तो काली रात है किस की?

न छुपे तारों के बीच चाँद 

तारे चाँद के बीच छुप न सके 


This fair night is the moon’s

But who owns the dark night?

The Moon hides not amidst stars

Nor could stars hide within the Moon


    - Shiv Kumar Batalvi शिव कुमार बटालवी

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