डी एल डब्लयू से बिछड़े धारों
ना पूछो हाल बचपन के यारों का,
डीoएलoडब्लयू से बिछड़े धारों का,
तेरी किताब-ओ-कलम से आशिक़ी,
और आवारगी हम जैसे आवारों का !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
ना पूछो हाल हम अवारों का,
डी एल डब्लयू से बिछड़े धारों का,
उनकी वो किताब-ओ-कलम से आशिक़ी,
और अपनी बैट-बॉल लिए सहर-ए पहर,
आवारगी करते खेल के प्यारों का
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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