माँ बनकर मैं तुझे छु लुंगी

मैं तो उषा हूँ , हर रोज़ मिलूंगी,

सूरज के प्रकाश के संग,

पुष्प बन , हर रोज़ खिलूँगी,

लिए इंद्रधनुषी हर एक रंग...

बेपरवाह हंसना मेरी हंसी,

मैं आउंगी उस मुस्कान में,

बस गयी हूँ सदा के लिए,

मैं तो तेरे जान-प्रान में...

सुबह जब भी आंख खुलेगी,

उषा बन मैं तुझे मिलूंगी,

हथेली चेहरे पर रख लेना ,

माँ बनकर मैं तुझे छु लुंगी...


                      - अभय सुशीला जगन्नाथ



Comments

Popular posts from this blog

राधा-कृष्ण ! प्रेम के सात वचन !

परी-सुरसुन्दरी, अप्सरा-देवांगना

बिन फेरे हम तेरे