दिल-ए-सोज़-आशना

दिल-ए-ग़म-आशना में ना पूछो 

हम पर क्या-क्या  सितम गुज़रे,

दिल-ए-सोज़-आशना फिर भी देखो,

दुबारा उन्ही गलियों से हम गुज़रें....

                               - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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गंगा से निकले हम धारों का,

ना पूछो हाल इन आवारों का,

इस दिल-ए-ग़म-आशना में,

जाने क्या क्या सितम गुज़रे,

दिल-ए-सोज़-आशना फिर भी,

उन्ही धारों में मिलकर हम गुज़रें 

                          - अभय सुशीला जगन्नाथ 





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