दिल-ए-सोज़-आशना
दिल-ए-ग़म-आशना में ना पूछो
हम पर क्या-क्या सितम गुज़रे,
दिल-ए-सोज़-आशना फिर भी देखो,
दुबारा उन्ही गलियों से हम गुज़रें....
- अभय सुशीला जगन्नाथ
------------------------------------------------------------------
गंगा से निकले हम धारों का,
ना पूछो हाल इन आवारों का,
इस दिल-ए-ग़म-आशना में,
जाने क्या क्या सितम गुज़रे,
दिल-ए-सोज़-आशना फिर भी,
उन्ही धारों में मिलकर हम गुज़रें
- अभय सुशीला जगन्नाथ
Comments
Post a Comment