बहन के सुलझे डोर

 फ़ासले उलझे ख़यालों के, बेहिसाब रहे दरमियां,

पर बहन के सुलझे डोर की, बेमिसाल रही नज़दीकियां !

#रक्षाबन्धन #RakshaBandhan


                                               - अभय सुशीला जगन्नाथ



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