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Showing posts from September, 2023

क़त्ल-ए-इंतज़ाम ले आया...

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 मैं आवारा, देख तेरी आवारगी में, जन्नत-ए-नूर का अरमान ले आया, दिल-ए-नादान के सुकून की खातिर, हुस्न-ए-जाना का हुस्न-ए-गुमान ले आया... मैं और मेरी आवारगी क्या, खुदा भी तुझे देख सोचता होगा, इस अप्सरा को जन्नत से उतार, मैं भला ये किस जहान ले आया... दीवानो को ज़िन्दगी देने में शायद, उनका क़त्ल-ए-इंतज़ाम ले आया...                             - अभय सुशीला जगन्नाथ 

मनावे ली तीज ! मनाती है तीज !

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माटी के सोन्ह खुशबू, आउर गाछ के गझिल छांव, अरिया प एगो मंदिर, आ सरजू-गंगा में नांव, तनिके दूरिया प पड़ेला, एगो छोटहन पड़ाव, ऊँहवे शिउवा बहु परवतिया के, सुहागिन सखिया गोल घेरा बनाव, मनावे ली तीज, उनकरे प बेलपत्तर आ फूल चढ़ाव... सोहलो श्रृंगार, हाथे मेहंदी, आ लाल अलता रंगल पांव... हमरे गऊंवा जइसन बा का जी, रउओ लोगन के सुनर गाँव ! भोजपुरी से हिंदी / Bhojpuri to Hindi मिट्टी की खुशबू, और घने पेड़ों की छांव, तट पर एक मंदिर, सरयू-गंगा में नांव, और बस कुछ ही दूर, एक छोटा सा पड़ाव, वहीं पार्वती की सुहागन सखियां, बनाकर गोल-गोल घेराव, मनाती है तीज, शिवजी पे बेलपत्तर-फूल चढ़ाव, सोहल श्रृंगार, हाथों में मेहंदी, और लाल अलता से रंगे पांव, मेरे इस गाँव जैसा ही है क्या, तुम्हारा भी वो सुंदर सा गाँव ! - अभय सुशीला जगन्नाथ

इश्क़-ए-राह-गुज़ारों

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कुछ लम्हे चुरा कर के, उन हसीं बहारों से एक रोज़ गुज़रे वो, इश्क़-ए-राह-गुज़ारों से Love Birds, somewhere… in Outskirts !                                - अभय सुशीला जगन्नाथ  कुछ लम्हे चुरा कर हम, इन हसीं बहारों से, कई बार थे गुज़रे हम, इन्हीं राह गुज़ारों से ... Love Birds, in Outskirts !                                  - अभय सुशीला जगन्नाथ  कुछ लम्हे चुरा कर, इन हसीं बहारों से, कई बार थे गुज़रे, इन्हीं राह गुज़ारों से ... Love Birds, in Outskirts !             - अभय सुशीला जगन्नाथ  ------------------------------------------------------ हम जिये जा रहे हैं ऐसे, आंखों में धुंधले आंसू... और होठो मुस्कान जैसे                        - अभय सुशीला जगन्नाथ