इश्क़-ए-राह-गुज़ारों
कुछ लम्हे चुरा कर के, उन हसीं बहारों से
एक रोज़ गुज़रे वो, इश्क़-ए-राह-गुज़ारों से
Love Birds,
somewhere…
in Outskirts !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
कुछ लम्हे चुरा कर हम,
इन हसीं बहारों से,
कई बार थे गुज़रे हम,
इन्हीं राह गुज़ारों से ...
Love Birds,
in Outskirts !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
कुछ लम्हे चुरा कर, इन हसीं बहारों से,
कई बार थे गुज़रे, इन्हीं राह गुज़ारों से ...
Love Birds,
in Outskirts !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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हम जिये जा रहे हैं ऐसे,
आंखों में धुंधले आंसू...
और होठो मुस्कान जैसे
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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