BHU की वो हसीन यादें...

अस्सी पर बीती शाम !
VT से शुरू सहर,
होस्टल दर फैकल्टी हुई,
आवारगी दिनभर...
गर्मी के बहाने,
इश्क़ की छांव ढूंढते,
सेंट्रल लाइब्रेरी की वो दोपहर...
लंकेटिंग करते करते,
संकट-मोचन से वापसी में,
WC पर निकली न जाने,
कितनों की आंहे भर-भर...
BHU की वो हसीन यादें...
शाम-ओ-सहर, हर पहर !

अबे ! जेलर ! इतना सीधा आदमी कहाँ से पकड़ लाये बे !

बहुते सीधा साधा है !
लेकिन चलो ठीक है...
संझा के जब हम रूम पर पहुंचली, त देखली कि रूम एकदम साफ सुथरा करके, व्यवस्थित कईले रहल !
लेकिन, गज़ब धीरे-धीरे , महीन-महीन बोलत रहल !
ओके हम समझयली !
" टाइट होके बोलो ! अउर टाइट होके रहो ! "
भोकाल टाइट रहना चाहिए ...
ये नीरज जी के बारे में प्रवीण नेता की पहली टिप्पणी है, जब वो ब्रोचा होस्टल में नेता के साथ रहने की शुरुआत किये !
शायद उस टिप्पणी और सलाह का ही असर है कि नीरज जी आज बेबाकी से अपना पत्रकार धरम निभा रहे हैं !
आज जब नीरज ने प्रवीण नेता के जन्मदिन पर मुझे टैग किया तो पुरानी यादें ताजा हो गयी !
एंड बर्थडे बॉय ! नेता प्रवीण !
क्या बोलूं ... अक्सर कुछ न कुछ बोलता हूँ उनके लिए,
क्योंकि ऐसी शख्सियत के लिए स्याहियां कम पड़ जाती हैं ...
आज कुछ हल्का फुल्का, BHU की यादों में लिप्त चार लाइन...
अस्सी पर बीती शाम !
VT से शुरू सहर,
होस्टल दर फैकल्टी हुई,
आवारगी दिनभर...
गर्मी के बहाने,
इश्क़ की छांव ढूंढते,
सेंट्रल लाइब्रेरी की वो दोपहर...
लंकेटिंग करते करते,
संकट-मोचन से वापसी में,
WC पर निकली न जाने,
कितनों की आंहे भर-भर...
BHU की वो हसीन यादें...
शाम-ओ-सहर, हर पहर !
Happy Birthday My First Leader ! Praveen Rai !
and Niraj बाबू ! आप तो छोटे भाई हैं,
हम सभी के, नेता के भी और हमारे अन्य BHU के सहपाठियों के भी ! - अभय सुशीला जगन्नाथ



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