फूल और कांटें
जिसे देख मेरा दिल धड़का,
और मेरी जान तड़पती है...
उस प्रेमी, आशिक़, आवारा,
पागल, मजनू, दीवाने का,
तुमसे मिलने को दिल करता है,
तुम ही हो जिसपे दिल मरता है,
क्योंकि मैंने प्यार तुम्ही से किया है,
मैंने दिल ये तुम्ही को दिया है,
और अब,
दिल ये करता है, बाहों में तेरे,
थोड़ा करीब आकर, कानों में तेरे,
इस पहली बारिश मैं और तू,
ये बात एक दूजे से कहें कि...
धीरे धीरे प्यार को बढ़ाना है,
हद से गुज़र जाना है !
मुझे बस तुझसे दिल लगाना है,
हद से गुज़र जाना है !
Today फूल और कांटें Released !
But year was 1991, 22nd November !
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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