मैं तैनु याद आवांगा, मैं तैनु याद आवांगी







तेरे संग गुज़ारे, हर वो लम्हात, एक कहानी हो जाते हैं,
शोखी-ए-तहरीर, तन्हाई में अक्सर, रूहानी हो जाते हैं

पंजाब के एक कॉलेज,
एक बार एक दिलचस्प, बनारसी में बोले तो "मस्त" घटना घटी !

एक गायक-गायिका ने एक कॉलेज कार्यक्रम में बढ़िया प्रदर्शन किया और कार्यक्रम समाप्त होने पर आयोजकों ने उन्हें उनकी फीस का भुगतान कर विदा कर दिया !
सफल कार्यक्रम का मौका देख गायक ने मजाकिया अंदाज़ में कहा =
"कम से कम मुझे टैक्सी लेने के लिए पैसे तो दे दीजिए ताकि मैं घर जा सकूं।" 

इसके बाद लोगों ने उसे 100 रुपये का नोट दे दिया !

जब गायक गायिका कॉलेज से बाहर निकले, तो गायक ने गायिका से  कहा,
“मुझे लोकल बस स्टैंड पर छोड़ दो। मैं वहां से घर के लिए बस ले लूंगा। 
और मैं इस पैसे से शराब खरीदूंगा” !

हैं न एकदम मस्त मजाकिया गायक  ! 
I mean fun loving funny singer !

ये कोई पहली बार नहीं था जब गायक इतनी मस्ती कर रहा था , बचपन में वो एक बार क्लास में इतना मजाक कर रहा था कि मास्टर जी के मुँह से निकल गया

“ओए आस्या, तू बड़ी मस्तानिया कर रहा है"

और उस दिन से इस असा सिंह के साथ ""मस्ताना"' शब्द जुड़ गया ! 
असा सिंह मस्ताना ! मशहूर पंजाबी गायक !

और वो गायिका कौन थीं ?
वो गायिका थीं ..." पंजाब की स्वर कोकिला " !
The Nightingale of Punjab !
पद्म श्री सुरिंदर कौर ! 

मशहूर फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र की साली साहिबा , यानि प्रकाश कौर की बहन !
" अपने " सनी देओल और बॉबी देओल की मौसी !

आज स्वर्गीय सुरिंदर कौर का जन्मदिन है !
25 November 1929 – 14 June 2006 

मेरी पसंदीदा पंजाबी गायिका, 
सुरिंदर कौर जी को उनके जन्मदिन पर पुष्प अर्पित श्रद्धांजलि !

और जुगनी एवं हीर-लोकगीतों की शैली को जन जन तक पहुँचाने वाले,
 " मस्ताना " असा सिंह जी को मस्त बनारसी दंडवत साष्टांग प्रणाम सहित नमन !
22 August, 1926– 23 May, 1999 

मैं तैनु याद आवांगा, याद आवांगा, तेनु याद आवांगा...
मैं तैनु याद आवांगी, याद आवांगी, तेनु याद आवांगी...

इस गीत की खासियत यह है कि कनाडा में एक संगीत कार्यक्रम में यह लाइव प्रस्तुत किया गया और,  
" सुरिंदर कौर और असा सिंह मस्ताना द्वारा गाए गए उन दुर्लभ गीतों में से एक है...
 जो कभी रिकॉर्ड नहीं किया गया।''

चाँद-सितारे करें तो क्या,
घटाओं की घात है लंबी...
वो चांदनी रात थी अच्छी,
अब ये काली रात है लंबी...
आवारा हैं फिर तेरे ख़यालों में,
कुछ यूं मैं और मेरी आवारगी,
कि कम हैं कागज़-ओ-कलम,
और तहरीर-ए-जज़्बात है लंबी...

                        - अभय सुशीला जगन्नाथ 

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