तेरी किस्मत...

सदियों का तेरा ज़र्द रुख़, वो खुश्क लब, वो वहम, वो दहशत...

एक घूंघट या माथे चुन्नी, इक नक़ाब-ओ-हिजाब तेरी किस्मत...

भरी महफ़िल उस झुके सर को, आज क्यूंकर तूने उठा लिया !

                                                               - अभय सुशीला जगन्नाथ 



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