सर्द सुब्ह-ओ-बनारस
सर्द सुब्ह-ओ-बनारस की रवां हवा, सिगरेट का वो धुआं,
कुल्हड़-चाय से उठती भाप, और कोहरा चीरती वो जवां,
नरगिसी आँखें, शरम-ओ-हया पे वो तबस्सुम-ए-पिन्हां,
नूर-ए-शफ़क़ सी रंग-ए-रुख़सार की तपिश लिए वहां,
गुज़रती थी गली के मोड़ से, शाम-ओ-सहर अक्सरहां...
हसीं उन ख्यालों की गर्माहट में, आज भी हैं रवां-रवां,
मैं और मेरी आवारगी, और यायावर बनारसी हमनवां...
कंपकंपाती कड़क सर्द-ठंडियों का, छोटा सा इक बयां !
तबस्सुम-ए-पिन्हां=
छुपी हुई मधुर सी हलकी हँसी
नूर-ए-शफ़क़=
सुबह या शाम की लाली / लालिमा
रवां-रवां =
आवारा, व्याकुल
यायावर=
बेफिक्रे आवारा
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#Shivering #Bitter #Freezing #Snowy #Cold #Cool #Coldness
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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