लंका कैसेट की दूकान

 लंका कैसेट की दूकान से, चलो जवानी ले आते हैं,

रिवाइंड कर इक गाना, फिर तेरी कहानी सुनाते हैं 


दोस्त मेरे थे बड़े ही मनमौजी,

बचपन में खूब चलाये मन मर्ज़ी..

कागज़ पर बना उन यादों की अर्ज़ी,

सिलाई कर भेजता... मैं शब्दों का दर्ज़ी


                                         - - अभय सुशीला जगन्नाथ 



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