बेदस्तक... बेबाक... बेअंदाज !

तेरे अहसास कभी नहीं रहे,
दिल-ए-दस्तक के मोहताज़,
धड़कनो में दीदार-ए-यार का,
आज भी वही पुराना अंदाज़,
बेदस्तक... बेबाक... बेअंदाज ! - अभय सुशीला जगन्नाथ


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