Posts

Showing posts from June, 2024

T20 World Cup 2024 WIN

Image
 अफ्रीका वालन के चढ़ा के झाड़, बुमराह-अर्शित दिहलन उतार 13 साल बाद कोहली-शरमा जी, भारतीयन के भेजलन ख़ुशी अपार  पांड़े जी मगर इतिहास हो गइलन, जब यादव जी धईलन उ कैच ...ड़ फाड़                                                                                   - अभय सुशीला जगन्नाथ  शरमा-कोहली के हौसला अफ़ज़ाई से, युवा भारत को अब नए उड़ान मिलेंगे, रौशनी से धरा पर नई कोपलें फूटेंगी, फिर कई पौध अपने सफर पर चलेंगे ...                                 - अभय सुशीला जगन्नाथ

संगीत......विज्ञान और कला

Image
विज्ञान और कला बीच शंकित विकार,  इन दो अलग दुनिया का लेकर विचार, जब पहुंचे हम शिव और कृष्णा के द्वार, दोनों ने बतलाया इनके मध्य का आधार, संगीत है विज्ञान और कला का अभिसार ! संगीत के प्रथम धुन, नाची झूम के शिवानी, राधा अपने प्रेम मगन, मीरा व्याकुल दीवानी ! Music is bridge between Art and Science which are conceptually two different world. Music let you understand the affinity between these two and celestial sphere which in turn leads to understand life. संगीत... कला और विज्ञान के बीच का सेतु है जो वैचारिक रूप से दो अलग दुनिया हैं। संगीत आपको इन दोनों और आकाशीय मंडल के बीच के संबंध को समझने देता है जो बदले में जीवन को समझने में मदद करता है ।                      - अभय सुशीला जगन्नाथ 

हाँकत-डोलावत बेनिया

Image
ललना-लल्ली लिलार पोंछे, सोचें कइसे ई पसीना सुखायीं गरमी-बेसरमी के माथा प, सावन-भादो के छींटा बरखायीं हाँकत-डोलावत बेनिया माई के, बाबूजी रउवा ले ले आयीं                                                              - अभय सुशीला जगन्नाथ     

एक आवारा रात का समाँ

Image
मशरूफियत में मशगूल थे, फुर्सत थी न जाने कहाँ, आज यारों ने महफ़िल सजा, जगाई ज़िन्दगानी वहां, वो अल्हड़ रवानी जहाँ, हुई फिर वहीं जवानी जवां... कल तक जो दिल-ओ-जान थे, हुए न जाने गुम कहाँ, हुस्न-ए-जाना के जिक्र से, हुई वो पुरानी कहानी रवां... अन्ना डॉन के सरदार, और एक आवारा रात का समाँ !                                                                    - अभय सुशीला जगन्नाथ  -------------------------------------------------------------------------------- मशरूफियत में मशगूल थे, फुर्सत थी न जाने कहाँ, आज यारों ने महफ़िल सजा, जगाई ज़िन्दगानी वहां, हुई फिर वहीं जवानी जवां, और अल्हड़ रवानी रवां... हुस्न-ए-जाना के जिक्र से, हुई वो पुरानी कहानी जवां, कल तक जो दिल-ओ-जान थे, हुए न जाने गुम कहाँ... मैं और मेरी आवारगी, और एक आवारा रात का समाँ !                                                          - अभय सुशीला जगन्नाथ  बरसात का कुछ पता नही, तेरी यादों में मौसम ऐसा है, दिन रात भीगती पलकों का, माहौल सावन-भादो जैसा है                               - अभय सुशीला जगन्नाथ  .....................................

माँ का मांगा था

Image
आज लिखते हुए हांथ कांप रहे हैं, कल दुआओं के लिए उठाते कांपेंगे  अब तलक जो मिला माँ का मांगा था माँ का चला जाना जीवन की वो क्षतिपूर्ती है, जो कभी पूरी नही हो सकती                                                                                             - अभय सुशीला जगन्नाथ