माँ का मांगा था
आज लिखते हुए हांथ कांप रहे हैं,
कल दुआओं के लिए उठाते कांपेंगे
अब तलक जो मिला माँ का मांगा था
माँ का चला जाना जीवन की वो क्षतिपूर्ती है, जो कभी पूरी नही हो सकती
- अभय सुशीला जगन्नाथ
आज लिखते हुए हांथ कांप रहे हैं,
कल दुआओं के लिए उठाते कांपेंगे
अब तलक जो मिला माँ का मांगा था
माँ का चला जाना जीवन की वो क्षतिपूर्ती है, जो कभी पूरी नही हो सकती
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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