हाँकत-डोलावत बेनिया

ललना-लल्ली लिलार पोंछे, सोचें कइसे ई पसीना सुखायीं

गरमी-बेसरमी के माथा प, सावन-भादो के छींटा बरखायीं

हाँकत-डोलावत बेनिया माई के, बाबूजी रउवा ले ले आयीं

                                                             - अभय सुशीला जगन्नाथ 



 


 

Comments

Popular posts from this blog

राधा-कृष्ण ! प्रेम के सात वचन !

परी-सुरसुन्दरी, अप्सरा-देवांगना

बिन फेरे हम तेरे