बारिशों में फिर भीगती
जेहन में लंकेटिंग की, पुरानी वही कहानी आयी,
रिक्शे की छतरी हटा, गेसुओं बिखेरे बूंदों की छटा,
बारिशों में फिर भीगती, अल्लहड़ वही दीवानी आयी...
#रूमानी #मानसून की इक #रवानी
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लंकेटिंग वाले रास्ते जब, यादों की गली मुड़ जाते हैं,
ख़यालों में आवारा यादें, अक्सरहां यूँ ही जुड़ जाते हैं
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ख़यालों लिए आवारा यादें, लो आज फिर से जुड़ गए,
लंकेटिंग करते तन्हा रस्ते, जब तेरी गली को मुड़ गए
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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