ख़यालन में खिलीहन फुलझड़ी

The Earl !
The Nobel !
The Gentle !

जेनके देख,
सोचत समझत,
टूट गयल दिल के कड़ी...

आज गुरु जब दारू लड़ी,
तब वही कुल कालेज वाली,
ख़यालन में खिलीहन फुलझड़ी...

मैं और मेरी आवारगी,
आज फेर ओहि ऊहापोह में...

एह के धरी कि ओह के पकड़ी 

                                           - अभय सुशीला जगन्नाथ 



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