सुनयना डालेगी जब कारे काजल
फ़ीके आज से पड़ने लगेंगे, सावन के सब कजरारे बादल
सफ़ेद सूट में जल लिए सुनयना डालेगी जब कारे काजल
गलियों इठलाती अल्हड़ वो पैरों छनकाती बनारसी पायल
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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फ़ीके आज से पड़ने लगेंगे, सावन के सब कजरारे बादल
जल लिए शिवानियाँ डालेंगी, सुनयनों जब शिवाय काजल
गलियों इठलाती अल्हड़ वो पैरों छनकाती बनारसी पायल
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उड़ाती हुई चुनरी वो,
सावन लिए आती है,
ज़ुल्फ़ों को बिखेरती,
वो घटा सी छा जाती है
फ़ीके पड़ जाते हैं,
सब सावन के बादल,
शिवानी के लगाते ही,
शिव को आंखों काजल
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उड़ाती हुई चुनरी वो सावन लिए आती है, ज़ुल्फें बिखेरती घटा सी छा जाती है
फ़ीके पड़ जाते हैं काले ये बादल, शिवानी के लगाते ही शिव को आंखों काजल
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फ़ीके आज से पड़ने लगेंगे, सावन के सब कजरारे बादल,
जल लिए शिवानियाँ डालेंगी, नैनों में जब शिवाय काजल
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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