बे-ज़ार ज़ुस्तज़ु - The Tiring Search !

 कभी ख़ुद से की बातें, कभी तुझ से गुफ़्तगू,

होती हैं खामोशियों, जब सरगोशियाँ हर-सू,

फिर शोरगुल ये तेरा-मेरा, इस ज़माने में क्यूँ,


मैं और मेरी आवारगी..  और बे-ज़ार ज़ुस्तज़ु


                                           - अभय सुशीला जगन्नाथ 



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