ग़ज़ब ताल्लुक़ है
मेरे घर आने जाने में माना ऐे दोस्त कि तखल्लुफ है
पर यादें बिन बुलाए चली आती हैं ग़ज़ब ताल्लुक़ है
- अभय सुशीला जगन्नाथ
दिन महीने साल बीत गए, याद रहा तो बस लम्हा
नरगिस-ए-नाज याद रही, और तबस्सुम-ए-पिन्हा
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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