तमन्नाओं की महफ़िल है

 तमन्नाओं की महफ़िल है,

सपनो का यह शहर है,

वरना इस मशरूफियत मे,

कभी कभी यूं लगता है,

ज़िंदगी एक मीठा ज़हर है,

जैसे एक लंबे सफर की,

न शब है कोई, न सहर है

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बेवफाई का जब शबब पूछा दुनिया ने,

हम क्या कहते और क्या बतलाते,

बस लिख दिया...

अल्फ़ाजों को पढ़ने वाले,

अहसासों को कहां समझ पाते

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तेरी आंखों में मैंने, 

हसीन ख्वाब है देखा,

चली आ हथेली में लिए,

मेरी वो भग्यशाली रेखा

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तेरी आंखों में मैंने, 

हसीन ख्वाब है देखा,

चली आ हथेली में लिए,

मेरी वो खुशकिस्मत रेखा

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