अमन-ओ-खुशहाल वतन की चाहत

 ना तो है अब धन की चाहत,

और ना ही नश्वर तन की चाहत,

अब तो दिल को देता है राहत,

अमन-ओ-खुशहाल वतन की चाहत...


हाँ उसी भारतवर्ष की चाहत,

जहां अपने खून से धरा को,

सींचते हुए, दिए वीर शहादत...


अब उन देशभक्तों के चरणों में,

है बस शीश नमन की चाहत,

जो सरहद की रक्षा को रखते हैं,

बदन पर तिरंगे कफन की चाहत ...

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