बाबुल का आंगन

जीवन की देखो अजब पहेली,

छूटा पहले बाबुल का आंगन,

छूटी फिर गलियां जहाँ मैं खेली,

टूटा वो गुड्डे गुड़ियों का घरौंदा,

और छूट गयी वो सखी-सहेली

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