माँ ! अम्मा ! फिर आओ ना...
लाल जोड़े में सजी,
लाल चूड़ी पहने,
लाल चुनरी ओढ़े,
माँ के लाल आँचल में,
मैं उसका लाल !
अधखुली आँखों जब भी देखू,
वो रोज़ नज़ारा दिखाओ ना,
लाल आँचल कमर में बाँधे,
झाड़ू आँगन में लगाओ ना...
और शरारत पर उसी झाड़ू से,
कू-लक्षण उतारने को डराओ ना !
माँ ! अम्मा ! फिर आओ ना...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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