आंखों में समेट तो लेने दो ख्वाबों को
#गुरु कहते रहे आंखों में बसा लो किताबों को
हमने कहा आंखों में समेट तो लेने दो ख्वाबों को
ख्वाबों के ये सवाल ही खोजेंगे नए जवाबों को✍️
- अभय सुशीला जगन्नाथ
Comments
Post a Comment