दिल्ली के इक प्लेटफार्म

दिल्ली के इक प्लेटफार्म पे कुछ यूँ समय गुजारता हूँ

तू किसी ट्रेन से उतरती है मैं एकटक तुझे निहारता हूँ

रेलवे कॉलोनी का क़र्ज़-ए-इश्क यूँ भी अब उतारता हूँ

- अभय सुशीला जगन्नाथ 




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