चाय

 थोड़ा इश्क़-ए-उबाल,

ज़रा सुनयना का कमाल,

आँखे सेंकें, या होठ देखें,

क्या अदा, क्या जलवे,

उफ़ तेरी चाय की चुस्की

और वो शरारती नटखट मुस्की,

चाय की हर चुस्की से चढ़ी,

खुमार-ए-इश्क़ की मस्ती,

ये जो चाय से मेरी मोहब्बत है,

शायद तेरी बदौलत है


                - अभय सुशीला जगन्नाथ 




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