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Showing posts from January, 2019

परी-सुरसुन्दरी, अप्सरा-देवांगना

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आँखों में शरारत, अंदाज़ में बेबाकपन, जैसे अल्हड़ बचपन ... ये शर्म-ओ-हया, धड़कनों की घबराहट, उसपर सुंदर मुस्कराहट ... तौबा ये शबाब, खुशबू जैसे गुलाब, सादगी में भी ताज़गी ... अद्भुत नज़राना, कौन हो तुम, परी या सुरसुन्दरी, अप्सरा-देवांगना ... तुमको खुदा ने बनाया है, या खुद को ही, ज़मीन पर ले आया है ...                          -  अभय सुशीला जगन्नाथ --------------------------------------------------- मैं शब्द रखता हूँ, वो ज़ज्बात उठाती है , मेरे कोरे कागज़ों पर, किसी कविता सी उतर जाती है पर पूरी कविता में भी, वो कहाँ खरी उतरती है, रोज़ रोज़ भला जन्नत से, कहाँ ऐसी परी उतरती है                        -  अभय सुशीला जगन्नाथ

जाने फिर, कब मिले फुर्सत

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इस रिश्ते को निभा जाना जब मिले फुर्सत, कभी पास आ जाना, जब मिले फुर्सत ... सुना है सब कुछ देता है खुदा, मुझे तो बस तुम ही मिल जाना, जब मिले फुर्सत ... दोस्ती, प्यार, यकीन, ये सब तो तुमसे ही सीखा , बिना इनके जीना सिखा जाना, जब मिले फुर्सत ... उसी प्यार को प्रेरणा बना, दोस्त के दिखाए मंज़िलों पर, उसी यकीन के साथ, मैं और मेरी आवारगी चले जा रहे हैं, दो और कदम साथ चलने आ जाना, जब मिले फुर्सत ... माना बहुत मशरूफियत है,  पर सांस तो लेते ही होगे तुम, साँसों में कैसे बसाया है यादों को, ये हुनर भी देख जाना,  जब मिले फुर्सत ... एक रोज़ ऐसा वक़्त आएगा, जब तुम्हे मिलेगी बेइंतहा फुर्सत, तब मेरी तन्हाई का आलम सुन जाना, फिर मेरी कहानी सुन, तुम कुछ गुमसुम हो जाना , रोना मत, बस अंतिम बार, अपनी उसी उन्मुक्त मुस्कराहट से, " अपने सपनो में हमें सुला जाना " जाने फिर, कब मिले फुर्सत                       -  अभय सुशीला जगन्नाथ

गुलाब

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हंगामा है बरपा इस बात पर, उन्हे गुलाब क्यों कह दिया, मोहल्ले में फिर किसकी खुशबू ने, दीवानगी का शबाब भर दिया, गली से जो गुजरा आपकी, उसी शबाब की खुशबू ने शह दिया, जनाब को हमने भी गुलाब कह दिया ...                                   -  अभय सुशीला जगन्नाथ ------------------------------------------------- आपके तज़ुर्बे का तो पता नहीं, पर मुझसे तू जुदा ही नहीं, जब तू ही है हर जगह , तो क्यों कहता है , मैं तेरा खुदा ही नहीं ... चटपटा चूना चूर्ण                   -  अभय सुशीला जगन्नाथ

फिर मुलाकात होगी कभी, जुदा हो रहे हैं कदम

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तो क्या हुआ जुदा हुए  मगर है खुशी मिले तो थे  तो क्या हुआ मुड़े रास्ते  कुछ दूर संग चले तो थे दोबारा मिलेंगे किसी मोड़ पे जो बाकी है वो बात होगी कभी  चलो आज चलते हैं हम..  फिर मुलाकात होगी कभी फिर मुलाकात होगी कभी जुदा हो रहे हैं कदम  फिर मुलाकात होगी कभी  दुखाऊँ मैं दिल जाते जाते तेरा मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं छुपा लूँगा मैं हंस के आंसू मेरे ये तेरी खुशी से तो ज्यादा नहीं  जो बिछड़े नहीं तो फिर क्या मज़ा जरूरी है रहनी भी थोड़ी कमी नहीं होगा कुछ भी खत्म  फिर मुलाकात होगी कभी  फिर मुलाकात होगी कभी जुदा हो रहे हैं कदम  फिर मुलाकात होगी कभी सितारों की इस भीड़ को गौर से इक आखिरी बार फिर देख लो ये जो दो अलग से हैं बैठे हुये  ये तुम हो, ये मैं हूँ, येही मान लो ये दिन में नहीं नज़र आएंगे मगर कल को जब रात होगी कभी जो ये रौशनी होगी कम..  फिर मुलाकात होगी कभी  फिर मुलाकात होगी कभी जुदा हो रहे हैं कदम  फिर मुलाकात होगी कभी

Everything I Do, I Do It For You ...

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Look into my eyes You will see What you mean to me Search your heart Search your soul And when you find me there, you'll search no more Don't tell me it's not worth tryin' for You can't tell me it's not worth dyin' for You know it's true Everything I do I do it for you Look into your heart You will find There's nothin' there to hide Take me as I am Take my life I would give it all, I would sacrifice Don't tell me it's not worth fightin' for I can't help it, there's nothin' I want more You know it's true Everything I do I do it for you There's no love Like your love And no other Could give more love There's nowhere Unless you're there All the time All the way, yeah Look into your heart, baby Oh your can't tell me it's not worth tryin' for I can't help it there's nothin' I want more Yeah, I would fight for yo

नया साल

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तू मंदिर, तू ही भगवान; तू पूजा. तू ही स्नान   ; तू खुदा, तू ही अज़ान, इसलिए सुबह उठते ही, बस दोस्त से दुआ सलाम, इबादत हो जाती है मेरी .... और जिस दिन बात हो जाये , बा खुदा, नया साल ही हो जाता है नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं                               -  अभय सुशीला जगन्नाथ