गुलाब

उन्हे गुलाब क्यों कह दिया,
मोहल्ले में फिर किसकी खुशबू ने,
दीवानगी का शबाब भर दिया,
गली से जो गुजरा आपकी,
उसी शबाब की खुशबू ने शह दिया,
जनाब को हमने भी गुलाब कह दिया ...
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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आपके तज़ुर्बे का तो पता नहीं,
पर मुझसे तू जुदा ही नहीं,
जब तू ही है हर जगह ,
तो क्यों कहता है ,
मैं तेरा खुदा ही नहीं ...
चटपटा चूना चूर्ण
- अभय सुशीला जगन्नाथ
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