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Showing posts from October, 2020

खुदा का स्वरुप, PTM PSM

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अल्लाह वल्लाह खुदा से जुदा न था  न है न होगा तुझ सा दूजा         - अभय सुशीला जगन्नाथ  PTM  PSM -PSM kya hai Piya Sang Milan PTM ke Bahaney PSM ke Afsaney Chali Gori Sunaney Apni Sakhi ko Jalaney Its Better लगी गोरी सुनाने अपनी सखी को जलाने सखी से मिलन को बीते ज़माने जबसे मिले हैं, फिर रहे दीवाने दीवाने                                     - अभय सुशीला जगन्नाथ  Smartfone ki Masti ke.... -Is virtual world me sab kuch logo ko fairy tale type lagta hai Tu to hai hi Fairy World ki Most Gorgeous Angel Gayee nahi ki Devils pichey उनकी क्या गलती, अपने रूप-ओ-हुस्न से पूछ, देख जिसे चाँद भी शरमा जाये, बेइन्तहा खूबसूरत, खुद खुदा का स्वरुप                                         - अभय सुशीला जगन्नाथ 

बेक़रार-इंतज़ार-Reply

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वो भी क्या दिन थे, जब वो छुप छाप कर, कॉल किया करते थे, अब तो वो हिड्डेन मोड में, FB पर भी चुप चाप, मिस करा, निकल लिया करते हैं ! बेक़रार, तेरे इश्क़ की चाह में, कभी बैठा, कभी उठा, कभी लेटा, और करता रहा, इंतज़ार !   - अभय सुशीला जगन्नाथ  डरती हूँ हर बार कि ना आऊं पर फिर तेरे साथ, वक़्त को ठहराने की क़शिश खींच लाती है मुझे, कि शायद ये पल लौट के ना आये और मैं यादों के धागे में, कुछ मोती पिरोने से ना चूक जाऊँ... ====क्यों डरती हो जान, I am always with you==== -- दिल में गहराई तक उतर गयी बस यूँ ही जो तुम ने कहा, आजा मैं तुझे भी कुछ सुनाऊँ एक एक पल जो तेरे साथ होती हूँ आगे कि ज़िन्दगी के लिए, यादों कि सौगात जोड़ती हूँ तुम इतने पास आ गये हो कि डर लगता है, तेरे खोने का मुझे .... ====बहुत ही प्यारी ==== -- कहीं नहीं जाऊंगा बस आवाज़ दे देखना फिर वहीँ लौट आऊंगा तुम जानते हो, मैं आवाज़ नहीं दे पाती, ऐसे बंधन में बंधी हूँ, कि तुम्हे छु भी नहीं पाती ====तुझे तो पता है मुझे_ _ _ ==== ====So Sweet ना  मुझे याद नहीं ==== -- आवाज़ नहीं भी देगी, तब भी मैं आ जाऊंगा , तुझे छोड़ कर जान मेरी, अब मैं कहा जाऊंगा, आज फिर

बिछड़ी हुई रूहों का ये मेल सुहाना है

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सिमटी हुई ये घड़ियाँ, फिर से न बिखर जायेँ इस रात में जी लें हम, इस रात में मर जायेँ ।  अब सुबह न आ पाये, आओ ये दुआ माँगें इस रात के हर पल से, रातें ही उभर जायेँ । दुनिया की निगाहें अब हम तक न पहुँच पायेँ तारों में बसें चलकर धरती पे उतर जायेँ ।  हालात के तीरों से छलनी हैं बदन अपने पास आओ के सीनों के कुछ ज़ख़्म तो भर जायेँ ।  आगे भी अन्धेरा है, पीछे भी अन्धेरा है अपनी हैं वो ही साँसें, जो साथ गुज़र जायेँ ।  बिछड़ी हुई रूहों का ये मेल सुहाना है इस मेल का कुछ अहसास जिस्मों पे भी कर जायेँ ।   तरसे हुये जज्बों अब और न तरसाओ तुम शाने पे सर रख दो, हम बाँहों में भर जायेँ ।  - साहिर लुधियानवी बचपन सामने आ जाता है  Very touching यार और मैं जीता हूँ,  हर रोज़ तुझे और तेरी यादें  मैं और मेरी आवारगी !          

One Year ! Thousands Year !

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  One Year ! One Year, It’s been one year, When I flew, with you, to your fairy view, Celestial, Heavenly and Spiritual Hew ! Many poetry since then, flowed form my pen, to prove that every now and then, I love you more, from my heart core ! I wana make you happy, happier as days passes by, Smiles and Cheers only to cherish, without pain, strain and cry ! I wana see you all night, sleep with you side by side, wake up with our morning kisses, after the long love making tide ! My Angel, you are Archangel my Angelica, and your love is ecstasy, but my fairy tale is not so daisy, cause I am devil of my angel, somewhat crazy and frenzy, with wild & exploring fantasy ! My Inspiration, you are my Motivation and Illumination, to fight all odds and strive, and reach height of success in my life, that you had dreamt for me, being my thrive, my wife !   One Year, it’s been one year, after 30 Years… No, No My Dear! It’s been thousand years, since, I a

Spellbound-Speechless

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दीवाना बना कर, दीवानगी का सबब पूछते हैं, आप भी क्या खूब करते हैं ! झलक झलक  एक मिनट को भी ना हटी पलक ! Lost Out of Words  Speechless  Spellbound  सुन्दर नैना, अति सुन्दर रूप ने, छीन लिया चैना !                   - अभय सुशीला जगन्नाथ 

मशरूफ, तआरुफ़

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मैं और मेरी आवारगी, तेरी दीवानगी में मशरूफ, और मेरी आवारगी, अपनी आवारगी में मशगूल, सिर्फ सांझ सवेरे होती है तआरुफ़                               - अभय सुशीला जगन्नाथ  -------------------------------------------------------------------------- मैं और मेरी आवारगी , हर पल तेरी दीवानगी में मसगूल, और मेरी दीवानगी तेरी आवारगी में मशरूफ, फिर भी जाने क्यों सिर्फ सांझ सावेरी होती है तआरुफ़                                                                - अभय सुशीला जगन्नाथ