दिलकश जाल-शृंखला

 इश्क़-ए-मशरूफियत में,

चल शुरू करते हैं, 

अंतहीन जिक्र-ए-यार दीवाने !

सजा शायरों की रंग-ए-महफ़िल,

लगाएंगे दौर-ए-जाम मस्ताने !

रोज़-ओ-शब् से रोज़-ओ-सहर तक,

यूँ ही अनवरत जलते रहेंगे,  

शमा के संग दीवाने-परवाने !

फिर एक कातिलाना मुस्कान, 

और दो नैनो से बयान होंगे, 

अनगिनत हसीन-ओ-रंगीन अफ़साने!

ये आज के,

वेब सीरीज के दीवाने,

इस दिलकश जाल-शृंखला को,

क्या जानें, कैसे पहचाने !


                           - अभय सुशीला जगन्नाथ 



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