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Showing posts from July, 2023

यूं ही संजीदा

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 यूँ ही हंसते खेलते न जाने कब वो बचपन गया,  बेतरतीब जवानी आयी अल्हड़-ओ-आवारा हुए, आंखे मिली, मुस्कान खिली, उनसे आशिक़ी हुई, और मयखाने पहुंच गए जब इश्क़ में बेकारा हुए... मैक़दे समझ आया, कि उन आँखों मे जो नशा था, वो मय-ओ-मयखाने से अलहदा, एकदम जुदा था, उनकी आंखें, आज भी , वो ही नादानी करती हैं, और मैं और मेरी आवारगी, यूं ही संजीदा रहते हैं और मैं और मेरी आवारगी, यूं ही मुस्का उठते हैं                                                  - अभय सुशीला जगन्नाथ 

पुराने कुछ कोरे कागज़

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  उठा कर पुराने कुछ कोरे कागज़, चल एक रंगीन कहानी लिखते हैं अल्लहड़ आवारगी से भरी तेरी-मेरी, आवारा दीवानगी को जवानी लिखते हैं शाम-ओ-सहर के अपने वो चर्चे,  शब-ए-महफ़िल के तेरे वो किस्से, शेर-ओ-शायरी रूमानी-ओ-रूहानी लिखते हैं  कहते हैं, मैं और मेरी आवारगी, आज भी लोगों को अक्सरहां, एक दूजे के दिखते हैं कहते हैं, मैं और मेरी आवारगी, आज भी लोगों को अश्कों में, एक दूजे के दिखते हैं - अभय सुशीला जगन्नाथ  --------------------------------------------------  उठा कर पुराने कुछ कोरे कागज़, चल एक रंगीन कहानी लिखते हैं अल्लहड़पन से भरी तेरी और मेरी, आवारा दीवानी वो जवानी लिखते हैं शाम-ओ-सहर के अपने वो चर्चे,  शब-ए-महफ़िल के तेरे वो किस्से, शेर-ओ-शायरी कुछ रूहानी लिखते हैं .                                  - अभय सुशीला जगन्नाथ  ---------------------------------------------------   उठा कर पुराने कुछ कोरे कागज़, चल एक रंगीन कहानी लिखते हैं अल्लहड़पन से भरी तेरी और मेरी, आवारा दीवानी वो जवानी लिखते हैं शाम-ए-महफ़िल का हुस्न-ओ-शबाब, शेर-ओ-शायरी कुछ रूहानी लिखते है

बेदस्तक... बेबाक... बेअंदाज

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तेरे अहसास कभी नहीं रहे, दिल-ए-दस्तक के मोहताज़, धड़कनो में दीदार-ए-यार का, आज भी वही पुराना अंदाज़, बेदस्तक... बेबाक... बेअंदाज It's been 20Years ... Memories of those beautiful, laughter-filled times, refreshed again. The evening was fantastic and impactful. Special thanks to Gunjan Madam for blessing us again. Mentoring is navigating, Ahead of Time… What others couldn’t see for you, To be Prime ! The Mentor Gunjan Saigal Bhatia Madam ! Thanks a lot for blessing us again ... after 22 Years ! Charansparsh Madam 🙏 क्या खूब बिछड़े थे तुम मुझसे, छोड़ गए मुझमें अपने आपको, और जुदा किया खुद को खुदसे... Love & Miss You All my BITTER, but BETTER HEARTS 💞 बातों बातों में गुजरते गए, पुराने हर पल-ओ-लम्हात, आंखों में बचपन की चमक, और जवां दिल-ओ-जज़्बात, बेमिसाल रहा ऐ मेरे दोस्त, ये पल-दो-पल का भी साथ                       - अभय सुशीला जगन्नाथ  

कोई देख रहा राहें

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 जहां मिली सुनयना ! तुझ संग निगाहें, और बिछड़ी जहां, तू छोड़ कर ये बाहें ! आज भी उसी गली, उसी मोड़ पे तन्हा, अधखुली-खिड़की से, कोई देख रहा राहें... मैं और मेरी आवारगी... और हमारी आहें...                                       - अभय सुशीला जगन्नाथ  -------------------------------------------------------------------------------- क्या खूब बिछड़े थे तुम मुझसे, छोड़ गए मुझमें अपने आपको, और जुदा किया खुद को खुदसे ...                               - अभय सुशीला जगन्नाथ --------------------------------------------------------------------------------- दीवानों को कुछ अलग, अंदाज़-ए-बयान है आते, निःशब्द खामोशियों से हैं करते, एक दूजे से बातें...                                                   - अभय सुशीला जगन्नाथ ---------------------------------------------------------------------------------- सिरहाने रख आज भी सोते हैं, वही सूखे गुलाब वाली किताब, लिखकर छिपाए थे जिसमें, मेरी वो ख्वाहिशें, तुम्हारे वो ख्वाब भाई, हर दिलजलों के कुछ-कुछ, ऐसे ही ख्याल-ओ-जज़्बात                                       - अभय सुशी

HEER – Doli Chaddeya Maariyaan Heer Cheekhan

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HEER – Doli Chaddeya Maariyaan Heer Cheekhan Doli chaddeyan maariyan heer cheekan mainu lai chale babla lai chale  maniu rakh lai babla heer akhe.. doli ghat kahaar ni lai chale.. Veera akheya kade na mod da saen teo samey babul kithe gae chale  teri chhatar chhavein rukh hait babul  te chat wang musafran lai chale ve Din chaar na rajj aram paya te dukh-dard musibtaan seh chale  sada boleya chaleya maaf karna te panj roz tere ghar reh chale Lai ve ranjhya rabb nu sonpeya tu te assi zalman de wass pae chale  jehde naal khayal usaarde saan te khane sadeyon ummed de dheh chale ve Chaare kaniyan merian vekh khali te assi naal naio kuj lai chale  puri dunia te shaan ghumaan ghuda waris shah hori sach keh chale 

गुरु शिष्यों तेरी कहानी

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गुरु कह रहे अपने आप को, शिष्यों तेरी यही कहानी है... जिज्ञासू हर नदी-धारा इक दिन, भव-साग़र में मिल जानी है...                                                                      - अभय सुशीला जगन्नाथ