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Showing posts from August, 2023

बहन के सुलझे डोर

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  फ़ासले उलझे ख़यालों के, बेहिसाब रहे दरमियां, पर बहन के सुलझे डोर की, बेमिसाल रही नज़दीकियां ! #रक्षाबन्धन #RakshaBandhan                                                - अभय सुशीला जगन्नाथ

चँदा मामा और धरती माँ

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धरती है मेरी माँ, चाँद है उसका भाई, बचपन से कई बार सभी ने, इस चँदा मामा की कथा सुनाई... सलाम पहुंचे इन तक... इसरो, चन्द्रयान और विक्रम भाई ! आज जिन्होंने चँदा मामा तक, माँ की राखी पहुंचाई ! चँदा मामा और धरती माँ को, एक भाँजे और बेटे की रुबाई !                           - अभय सुशीला जगन्नाथ 

मुन्तज़िर... मुन्तशिर... मुक़तदिर... Hallmark of Popular... Love Affair

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मुन्तज़िर जिन गलियों में,  मैं और मेरी आवारगी... मुन्तशिर उन्ही राहों पर, मेरी दिल-ओ-दीवानगी... मुक़तदिर ! इश्क़-ए-बानगी ! The places, where I was expected, but roamed-roved no where... My heart actually,  scattered everywhere, as was shattered there... The Hallmark of Popular... Love Affair !                                      == न पूछ बहर-ए-इश्क़ से, मौज-ए-मोहब्बत के मायने सागर की लहरों में ऊंचाइयां भी, और गहराइयाँ भी == न रफ़ीक़ है, न रक़ीब है और न वस्ल की आरज़ू, ये सफ़र तेरे शहर का बेतरतीब है, अजीब है, किससे रूठें, किसको मनाएं == नवनिहाल उमरिया पर, जब चढ़ गइल जवानी, राउर नेहिया में अंखियन से, सब बह गइल पानी कभी-कभी खोया ख़याल ज्यूँ ही, यादों के पन्नों पे गोया कलम यूँ ही == अन्जान थे हम-तुम, और सागर सा गहरा इश्क़ नादान ढूंढते रहे किनारा, जबकि डूबना था इश्क़ == मुन्तज़िर - प्रतीक्षित, जिसके आने की आशा हो One who is expecting, or looking out for मुन्तशिर - बिखरा हुआ, अस्त व्यस्त, क्रांतिकारी Scattered, Disorderly, Firebrand मुक़तदिर - विख्यात, नामवर, प्रसिद्ध Popular, Known, Almighty बानगी - मिसाल

तू और तेरी दीवानगी, "मेरे" दिल पर गुजरती है !

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बनारस शहर की, संकरी तंग गलियों से, गंगा घाट के खुले विस्तार में, जो आवारगी स्वछंद उमड़ती है, क्या आज भी तेरी खिड़की से, वो अल्हड़ हवाएं गुजरती है ? उन्ही आवारा हवाओं के दामन पे, मैंने वो हाल-ए-दिल बयां है किया  हाँ ! वही ! जो अक्सरहां, तेरे, "मेरे" दिल पर गुजरती है ! वो आज भी शेर-ओ शायरी बन, मेरे ज़ेहन में यूँ ही उतरती है... अब देखें कब ये स्वछंद हवाएं, तेरे कानों में वो सब कहती हैं,,, और देखें कब ? मैं और मेरी आवारगी, तेरे झरोखे पर जाकर ठहरती हैं,,, या फिर ! तू और तेरी दीवानगी,  मेरे दरवाज़े का रुख़ करती है,,,, बनारस शहर की, संकरी तंग गलियों से, गंगा घाट के खुले विस्तार में, जो आवारगी स्वछंद उमड़ती है, क्या आज भी तेरी खिड़की से, वो अल्हड़ हवाएं गुजरती है ?                              -  अभय सुशीला जगन्नाथ  उन आवारा हवाओं के दामन पर, मैंने वो हाल-ए-दिल बयां है किया, जो आज भी शेर-ओ शायरी बन, मेरे ज़ेहन में यूँ ही उतरती है... हाँ ! वही ! जो अक्सरहां, तेरे, "मेरे" दिल पर गुजरती है ! देखें कब ये स्वछंद हवाएं, तेरे कानों में वो सब कहती हैं, और देखें कब ? मैं और मेरी आवारगी, तेरे

PEAK & UNIQUE !

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  Do you know, what your name mean ... Yeah ! Its PEAK ! But you're rare & special; One of a kind, You are UNIQUE. Rare & Reliable, Adorable Antique ! Pleasant Pageant, The Exquisite Mystic ! Wishes for you on this date, that you never ever forget, Cheers, Laughter and Fun filled, Pleasured Best Birthday YET…                                  - Abhay Sushila Jagannath

Happy B Day from one and only one

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  Hey ! Do you know that always, You have been Special to me... And it's not about only today, That I am wishing for you, May every desire come your way, Everyday Everynight and always ! And you can confirm it, by the way, Just listen your heart what it says.   Happy B Day from one and only one Who is yours forever, remain always !   -          Abhay Sushila Jagannath