Posts

Showing posts from October, 2023

Diva in Disguise

Image
  When she smiles, sparkling light gleams, out of her eyes...   A Beauty, unbelievable to realise, unable to analyse, even by those, up above the skies...   Is it ! Diva in Disguise !                                               - Abhay Sushila Jagannath

Nescience of MAGNETIC BEAUTY

Image
Somewhere ! I had read… The substance that attracts, is called MAGNET ! A Simple Science… But when something, First Fascinates, Then Captivates, and forever Enchants, is called MAGNETIC BEAUTY ! A Complex Nescience…                         - Abhay Sushila Jagannath 

मनीष " सोनू " दुबे-राय , तीनों का " बाग़ी "

Image
  मनीष ! (घर के नीचे से ही बालकनी की तरफ मुँह कर आवाज़ देता) आंटी नमस्ते ! मनीष है ? = सोनू ! अभय आया है ! बालकनी से फिर एक झलक देख कर, नीचे मुझसे मिलने दो लोग आते थे ! आप भी , सोच रहे होंगे, बुलाया एक को, और आएंगे दो लोग ! जी, दो लोग, एक बार इस लाइन/स्क्रिप्ट को मैं जलाली-पट्टी, डी०एल०डब्ल्यू में आवाज़ लगाता, और दूसरी बार ईस्ट कॉलोनी, उसी डी०एल०डब्ल्यू० रेलवे कॉलोनी, बनारस में ! अब दो जगह आवाज़ लगाई तो दो ही लोग आएंगे न, भले ही दोनो जगह मेरी और आंटी लोग की लाइन/स्क्रिप्ट एक हो ! " सोनू ! अभय आया है ! " ये आवाज़ जेहन में अक्सर गूंजती है, आज भी ! वो भी दो स्वर-ध्वनि में , दो आंटियों की, माता सरोजनी जी और माता मंजू जी की ! जलाली-पट्टी में मिलता था ! सोनू उर्फ Manish Dubey ! ईस्ट कॉलोनी में मिलता था ! सोनू उर्फ Manish Rai ! अब ये इत्तेफ़ाक़ था या क्या, मुझे नही पता, पर दोनो का नाम सोनू और दोनो मेरे अज़ीज़ ! दोनो का घर का निक नाम और स्कूल का नाम एक ही था, बस सिर्फ यही एक समानता नहीं थी दोनो की आपस में एक और समानता थी... दोनों को भगवान का दिया अद्भुत आवाज़, सुन लीजिएगा तो आप भी फैन हो ज

गुप-चुप फुचके सी नमकीन थी, गोलगप्पा रंगीन थी

Image
 DLW के कम्युनिटी हॉल की,  और उस सुंदर दुर्गा-पंडाल की, दशक नब्बे के दिन-ओ-साल की, छोटी सी कहानी है ये उस स्टाल की, मिली थी जहां वो, गोलगप्पा कमाल की... नाज़ुक बताशा, सूजी सी गोरी-भूरी, छोले सी मखमली, प्याज़ सी कुरकुरी, नींबू सी चटक, आमचूर की खटास पूरी, गुदाज़ आलू सी भरी, टमाटर पूरी रसभरी, मिर्च सी तीखा-लाल, झन्नाटेदार एकदम खरी, इमली सी खट्टी-मीठी, चाट मसाला चटक भरी... गुप-चुप फुचके सी नमकीन थी, गोलगप्पा रंगीन थी ! "शताक्षी" बीच "कामाक्षी" संग, दुर्गा-पंडाल की यादों में मलंग, मैं और मेरी आवारगी ! और "सोनाक्षी" के चटखारे रंग...                       - अभय सुशीला जगन्नाथ  ------------------------------------- DLW है आशना, मुझे ये बता गयी वो भूली दास्तान जब याद आ गयी -------------------------------------- शीतल हवाओं में, खुशबुओं के झोंके कौन सी बंदिश है, जो कभी इन्हें रोके... --------------------------------------- अब तलक सब याद रहा मुझ में तू, तेरे बाद रहा... -------------------------------------- हरे पत्ते के अंजुर में बैठी, गोरी सी वो कुरकुरी, पुदिने के पानी

शब्द वो "माँ" लिखूँ

Image
कहाँ से शुरू करूं, और मैं क्या लिखूँ... जिससे मैं शुरू हुआ, शब्द वो "माँ" लिखूँ  ! आँचल में बांध कर मेरे लिए, आसमान के चाँद और सितारे, हर रात जो तूने मेरे गोद में उतारे, उन्ही ऊंचाइयों पे जहां तू आज है, वहां तक मेरी ये आवाज़ पुकारे... कि माँ ! सब कुछ है लेकिन, कुछ भी नही है, आज मेरे द्वारे... ऐ ईश्वर ! मैं आज से, अभी से, माँ की यादों और ममता सहारे... - अभय सुशीला जगन्नाथ

BHU की वो हसीन यादें...

Image
अस्सी पर बीती शाम ! VT से शुरू सहर, होस्टल दर फैकल्टी हुई, आवारगी दिनभर... गर्मी के बहाने, इश्क़ की छांव ढूंढते, सेंट्रल लाइब्रेरी की वो दोपहर... लंकेटिंग करते करते, संकट-मोचन से वापसी में, WC पर निकली न जाने, कितनों की आंहे भर-भर... BHU की वो हसीन यादें... शाम-ओ-सहर, हर पहर ! अबे ! जेलर ! इतना सीधा आदमी कहाँ से पकड़ लाये बे ! बहुते सीधा साधा है ! लेकिन चलो ठीक है... संझा के जब हम रूम पर पहुंचली, त देखली कि रूम एकदम साफ सुथरा करके, व्यवस्थित कईले रहल ! लेकिन, गज़ब धीरे-धीरे , महीन-महीन बोलत रहल ! ओके हम समझयली ! " टाइट होके बोलो ! अउर टाइट होके रहो ! " भोकाल टाइट रहना चाहिए ... ये नीरज जी के बारे में प्रवीण नेता की पहली टिप्पणी है, जब वो ब्रोचा होस्टल में नेता के साथ रहने की शुरुआत किये ! शायद उस टिप्पणी और सलाह का ही असर है कि नीरज जी आज बेबाकी से अपना पत्रकार धरम निभा रहे हैं ! आज जब नीरज ने प्रवीण नेता के जन्मदिन पर मुझे टैग किया तो पुरानी यादें ताजा हो गयी ! एंड बर्थडे बॉय ! नेता प्रवीण ! क्या बोलूं ... अक्सर कुछ न कुछ बोलता हूँ उनके लिए, क्योंकि ऐसी शख्सियत के लिए स्याहिय

Teenage ! What an age !

Image
What an age, gusty and rage ! The turbulent teenage... Nomadic nights, Roving days… Vagrant wanderer, Roadies amaze... You were the beauty, with an angelic face... We were evil deface, spoiled in the race of ace... I was flying, up above the sky, with your extended feather… You were The Angel, Numero Uno in space ! Letting you cry, through gorgeous eyes, with my betrayal and lies… I was The Devil, Only One, at place ! Gloomy nights, Flaming days, Brooding wanderer, Pensive amaze... Still waiting, at the very place… where the broken hearts are going to be embraced… What an awesome age, The Tempting Teenage ! Ace of Aces, The Teasing Teenage ! Age of Ages, The Tantalizing Teenage !                       - Abhay Sushila Jagannath  

सवाल करना सिखाया

Image
किसी ने पाठ पढ़ाया, किसी ने जिज्ञासा जगाया, सलाम पहुंचे उन तक, जिसने हर उत्तर बताया, पर नमन जिसने पढ़कर, सवाल करना सिखाया ☝️ #TeachersDay #शिक्षक #दिवस                                         - अभय सुशीला जगन्नाथ