कुछ लम्हे

 कुछ लम्हे चुरा कर के, उन हसीं बहारों से

एक रोज़ गुज़रे वो, इश्क़-ए-राह-गुज़ारों से

Love Birds,
somewhere…
in Outskirts !

- Abhay Sushila Jagannath


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