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Showing posts from April, 2024

Tribute to Father & Mother

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 नहीं कौन हूँ, नहीं कहाँ हूँ, नहीं क्या हूँ मैं, ख़ुद की ख़ुदाई के लिए तराशा ख़ुदा हूँ मैं, धरा है गर ये माँ तो सृजनकर्ता पिता हूँ मैं ! पापा जी की पुण्य तिथि पर, माँ को श्रद्धा सुमन साथ, दोनों की याद-ओ-आबाद, मैं अभय सुशीला जगन्नाथ ! Who am I not, Where am I not, What am I not, Crafting my own divinity, I am the God !   If this earth is mother’s heart, then I’m father, creator not apart !   Remembering Father’s depart, with Mother’s blessing at heart, Me, Myself & I… Abhay Sushila Jagannath !

रंगरेज़ मेहरबां...

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मुस्कान है बयां कर रहे, उस मेहरबां का हसीं सितम, हर लम्हे गुनगुना रहे, शेर-ओ-शायरी और हसीं नज़म रंगीन रंगों का आसमां, सतरंगी मैं और तू रंगरेज़ मेहरबां...                                                           - अभय सुशीला जगन्नाथ 

लंका कैसेट की दूकान

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 लंका कैसेट की दूकान से, चलो जवानी ले आते हैं, रिवाइंड कर इक गाना, फिर तेरी कहानी सुनाते हैं  दोस्त मेरे थे बड़े ही मनमौजी, बचपन में खूब चलाये मन मर्ज़ी.. कागज़ पर बना उन यादों की अर्ज़ी, सिलाई कर भेजता... मैं शब्दों का दर्ज़ी                                          - - अभय सुशीला जगन्नाथ 

Life’s phase, The Teenage !

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Seeing stunning beautiful face A handsome is ready to praise and wishes to tune & phrase, Some romantic melody, & a poetic catchphrase... Surprisingly ! Not for every beauty, &  each magnificence... But for Someone Special, with a craze and an amaze… Welcome to the most exciting, Life’s phase, The Teenage !                           - Abhay Sushila Jagannath                                 

चाँदनी को चांद-रात

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 तारों का मजमा होगा, छतों पर भीड़ बेशुमार, सबकी नजर उसपे होगी, जो तुझसे शर्मशार ! आपको ईद मुबारक पर चाँदनी को चांद-रात !                                                - अभय सुसीला जगन्नाथ

हाथों में वही लकीर

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तू आ कर मिला जा, फिर एक बार हाथ से हाथ, तुझसे अपनी तकदीर है सजानी, जो उस ना-खुदा ने नही है खींची, अब हाथों में वही लकीर है बनानी... तेरे हाथों से हाथ मिलाने को संग अल्हड़ खिलखिलाने को, और सनातन वर्ष में नए खुशनुमा,  ख्वाब-ओ-ख़यालात सजाने को, बेचैन और बेताब,  मैं और मेरी आवारगी...                         - अभय सुसीला जगन्नाथ