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Showing posts from March, 2025

हर-सु बस तू ही तू

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रफ़ीक़ था तू, अब रकीब भी तू फिर क्यूँ है तेरे वस्ल की ज़ुस्तज़ू क्या करूँ, कहाँ जाऊं, कैसे रहूँ हर-शय में तू, हर-सु बस तू ही तू शाम-ओ-सहर की ये आवारगी और तेरी उसी गली की आरज़ू ...   - अभय सुशीला जगन्नाथ  #Poetry #Day and #Poet in #Poetic #Personality

गड़े मुरदे

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अहल-ए-सियासत ने पैग़ाम-ए-मोहब्बात से किया बयाँ गड़े मुरदे उखाड़ोगे नहीं तो बे-मौत लाशे बिछेंगी कहाँ असल मुद्दों की राख़ के लिए इक शमशान चाहिए यहाँ                                                               - अभय सुशीला जगन्नाथ  अहल-ए-सियासत ने आवाम को बहका के किया बयाँ गड़े मुरदे उखाड़ोगे नहीं तो बे-मौत लाशे बिछेंगी कहाँ असल मुद्दों की राख़ के लिए इक शमशान चाहिए यहाँ                                                    - अभय सुशीला जगन्नाथ अहल-ए-सियासत ने पैग़ाम-ए-मोहब्बात से किया बयाँ गड़े मुरदे उखाड़ोगे नहीं तो बे-मौत लाशे बिछेंगी कहाँ असल मुद्दों को जलाने के लिए इक शमशान चाहिए यहाँ                                     ...

स्याही से कमीज की जंग

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ना वो रंगीन सावन बरसा, ना देखा फिर वो बसंत 💛, उस अल्हड़ रंगरेज संग, स्याही से कमीज की जंग ❤️, मैं और मेरी आवारगी.. और वो कलम #होली के #रंग 💚                                                - अभय सुशीला जगन्नाथ   

मस्त झूमती नवयौवन संगी

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मस्त झूमती नवयौवन संगी, पूरवा बसंत सी बयार बे-ढंगी.. तू ही है सावन सतरंगी, फगुआ की फ़ाग मनरंगी... #Women #Day #महिला #दिवस                                       - अभय सुशीला जगन्नाथ