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Showing posts from March, 2025

मुबारक चाँद रात

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समझाया था हमने बहुत, कायदे इश्क-ओ-निबाह के, ज़रा बच के रहना सितारों की, ज़ालिम भरी निगाह से, फ़िर भी चाँदनी मुस्काती गुज़री, मुबारक चाँद रात में                                                                                                            - अभय सुशीला जगन्नाथ                                                 

माँ ! अम्मा ! फिर आओ ना...

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लाल जोड़े में सजी,  लाल चूड़ी पहने,  लाल चुनरी ओढ़े,   माँ के लाल आँचल में,  मैं उसका लाल !   अधखुली आँखों जब भी देखू, वो रोज़ नज़ारा दिखाओ ना, लाल आँचल कमर में बाँधे, झाड़ू आँगन में लगाओ ना... और शरारत पर उसी झाड़ू से, कू-लक्षण उतारने को डराओ ना !  माँ ! अम्मा ! फिर आओ ना...                         - अभय सुशीला जगन्नाथ 

Mentoring is navigating, Ahead of Time…

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Mentoring is navigating, Ahead of Time… What others couldn’t see for you, To be Prime ! Mentoring is traversing, Through your Mind and Brain… Bringing out the Best;   rather Excellent … Eliminating Fear and Strain !                                  - Abhay  Sushila  Jagannath

हर-सु बस तू ही तू

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रफ़ीक़ था तू, अब रकीब भी तू फिर क्यूँ है तेरे वस्ल की ज़ुस्तज़ू क्या करूँ, कहाँ जाऊं, कैसे रहूँ हर-शय में तू, हर-सु बस तू ही तू शाम-ओ-सहर की ये आवारगी और तेरी उसी गली की आरज़ू ...   - अभय सुशीला जगन्नाथ  #Poetry #Day and #Poet in #Poetic #Personality

गड़े मुरदे

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अहल-ए-सियासत ने पैग़ाम-ए-मोहब्बात से किया बयाँ गड़े मुरदे उखाड़ोगे नहीं तो बे-मौत लाशे बिछेंगी कहाँ असल मुद्दों की राख़ के लिए इक शमशान चाहिए यहाँ                                                               - अभय सुशीला जगन्नाथ  अहल-ए-सियासत ने आवाम को बहका के किया बयाँ गड़े मुरदे उखाड़ोगे नहीं तो बे-मौत लाशे बिछेंगी कहाँ असल मुद्दों की राख़ के लिए इक शमशान चाहिए यहाँ                                                    - अभय सुशीला जगन्नाथ अहल-ए-सियासत ने पैग़ाम-ए-मोहब्बात से किया बयाँ गड़े मुरदे उखाड़ोगे नहीं तो बे-मौत लाशे बिछेंगी कहाँ असल मुद्दों को जलाने के लिए इक शमशान चाहिए यहाँ                                     ...

स्याही से कमीज की जंग

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ना वो रंगीन सावन बरसा, ना देखा फिर वो बसंत 💛, उस अल्हड़ रंगरेज संग, स्याही से कमीज की जंग ❤️, मैं और मेरी आवारगी.. और वो कलम #होली के #रंग 💚                                                - अभय सुशीला जगन्नाथ   

मस्त झूमती नवयौवन संगी

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मस्त झूमती नवयौवन संगी, पूरवा बसंत सी बयार बे-ढंगी.. तू ही है सावन सतरंगी, फगुआ की फ़ाग मनरंगी... #Women #Day #महिला #दिवस                                       - अभय सुशीला जगन्नाथ