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Showing posts from January, 2021

गंगा किनारे बनारस

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उनकी गलियों की "आवारगी" ने, आशिक़ी में "आवारा" बना दिया,  दिल-ए-बेज़ार में फिर मैने भी,   गुरुर-ए-इश्क़ सा उन्हें सजा लिया, जैसे पवित्र "गंगा" के किनारे, स्वयंभू ने " बनारस " बसा लिया !                              - अभय सुशीला जगन्नाथ  Feel the warmth of fervor, by holding each other ! As someone has truly said "The best thing to hold onto life is each other"                - Abhay Sushila Jagannath

मैं, मैं हूँ ! मैं ही मैं हूँ ! " Angel Star "

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Do You Know  There is a Morning Star  Which Guides you in Darkness From the distance so Far That Light Bearing Star Is my Guiding Radar My Beautiful " Angel Star "  जब कोई मुझसा नहीं, तब क्यों करूँ परवाह, मैं, मैं हूँ ! मैं ही मैं हूँ ! तुलना की नहीं  मुझे कोई चाह !                  - अभय सुशीला जगन्नाथ

सैराट झालंजी…Sairat Zaala Ji...

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अलगुज वाजं नभात भलतचं झालया आज अलगद आली मनात पहिलीच तरणी ही लाज Alguj Vaaj Nabhaat The sky echoes soothingly Beautiful music is getting played slowly in the sky  Bhaltach Jhalaya Aaj Today something different but beautiful has happened  Algad Aali Manaat Slowly she entered in the heart soul  Pahilich Tarani Hee Laaj This is the first blush of young love  हो… अगं झनानलं काळजामंदी अन हातामंदी हात आलं जी.. सैराट झालं जी.. सैराट झालं जी.. सैराट झालं जी.. Ho Aga Jhananal Kalajamandi Heart started to beat like the drums  Ann Hatamandi Haat Aal Ji Your hand came into my hands Sairat Zaala ji Wildness spread all over The heart became wild हो… बदलून गेलंया सारं पीरतीचं सुटलंया वारं अल्लड भांबावल्यालं बिल्लोरी पाखरु न्यारं. Ho Badlun Gelaya Saar Everything has changed  Peertich Sutlaya Vara These are the winds of love  Alad Bhambhavalyala Billuri Pakharu Nyara It’s like an innocent fearful beautiful young bird आलं मनातलं ह्या व्हटामंदी अन् हातामंदी हात आलं जी सैराट झालं जी. सैराट झालं जी. सैराट

The Indispensable A.....अपरिहार्य

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The  Indispensable  A...... !  You  are  Indispensable  admirer ! अपरिहार्य ....! Most necessary ! Your selfless devotion towards me is matchless ! I am speechless ! बस कर B..... 😜 You are such an inspiration to me,  Just seeing how hard you have worked, And how it has paid off for you family, Inspires me to do the same for my own people, You are a terrific role model, And I am grateful to have you in my life !                                      - Abhay Sushila Jagannath 

माँ !

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वो कल्पना थी, वही अब अहसास है, वो आस्था थी, वही अब विश्वास है, वो मंदिर थी, वही अब भगवान् है, वो आरती थी, वही अब अज़ान है, वो खूबसूरती थी, वही अब ताज़गी है, वो सपना थी, वही अब सच्चाई है,   मुझे समझ आई अब रानाई है, माँ ! तुझसे हुई जब शनासाई है !                             - अभय सुशीला जगन्नाथ ------------------------------------------------ तू कल्पना , तू अहसास , तू आस्था , तू विश्वास , तू मंदिर , तू भगवान् , तू आरती , तू अज़ान ,  तू खूबसूरती , तू ताज़गी , तू सपना , तू सच्चाई  मुझे समझ आई रानाई   , तुझसे जब हुई शनासाई !                         - अभय सुशीला जगन्नाथ

मुझे समझते हो तुम !

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मुझे समझते हो तुम, रूह में बसते हो तुम, जब मैं चाहूँ ! महसूस होते हो तुम, कभी दूर नहीं, हमेशा पास होते हो तुम ! तेरे लिए अंदर से आ जाता है  Don't Know how =वैसे ही मैं लिखता हूँ  मेरी ताकत हो तुम, मेरा सुकून हो तुम, पास नहीं थे ! फिर भी, दूर नहीं थे तुम ! ... बिल्ला गोरा कब से हो गया,  फेयर एंड लवली, कमाल दिखा दिया क्या ! =काली घुप घटाओं से, श्यामल ज़ुल्फ़ों की जगह  तुम्हारे गोर मुखड़े को  रंग दे का राधा रानी !

आज कुछ एकदम नया करें !

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 नववर्ष के पहले दिन पर ही,   धड़क धड़क धड़कन कहती है, चल न ऐ आवारा दिल,  आज कुछ एकदम नया करें ! आधी रात को बदलते वर्ष-वक़्त में, नए सपने सजाने सँवारने को, कुछ लम्हात की मोहलत और बढ़े, चाँद तारों के पार,उस आकाश परे, परियों की नगरी से तुझे उतारे, और उगते सूरज की प्रकाशमयी आभा से,  सुनयना तेरे नैनो में रंग भरें, सुबह सुबह ओस की बूंदो से, दूधिया सीप मोतियों सा सुन्दर,  हरे घास पर तेरा नाम गढ़ें, फिर खुले आसमान में तेरा, बादलों से खूबसूरत अक्स बनाएं, और चमकते सूरज की लाली से, तेरे चेहरे में दिव्य लालिमा भरें, बाग़ के फूलों की ताज़ा तरीन, खुशबूदार और सदाबहार, मुस्कान तेरे होठों पर मढ़ें, काली घटाओं से काजल चुरा, पहले नयन तेरे सुरमई करे, और फिर उन्ही घटाओं से,  तेरे घने ज़ुल्फो में श्यामल रंग भरें, क्यों न फिर कुछ ऐसा करें, कि इंद्रधुनष के बिबिध-बिरंगे, बिंदास मनरंगी सतरंगी रंग, तेरी उन्मुक्त हँसी पर चढ़े,  बाद उसके क्यूं ना कुछ शरारत करें, कि स्वछन्द मनमौजी हवाएं, और रिमझिम बारिश की फुहारें, तेरे भोले शर्मीलेपन में कुछ मस्ती गढ़ें, फिर मस्तानी सुहानी शाम की मस्ती, मदहोश-मदमस्त खुमार लिए,  तेरे युवा अल्ल