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Showing posts from March, 2021

माँ का आशीर्वाद

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जब जब तू पूजा करेगी , मिलूंगी  मैं हर प्रार्थना-ए-पहर  तेरे हाथों की हथेली से, महसूस करूँगी, तुझे छु कर , आरती में मैं मिला करूँगी, इश्वर संग, हर सज़दा-ए-सहर ! माँ का आशीर्वाद सदा उसकी सबसे प्यारी-न्यारी बेटी पर बना रहे   जब जब तू सज़दा करेगा, मिलूंगा मैं हर नमाज़-ए-पहर, तेरे हाथों की हथेली से, महसूस करूँगा, तुझे छु कर , अज़ान में मैं मिला करूँगा, खुदा संग, हर नमाज़-ए-सहर !               - अभय सुशीला जगन्नाथ   

बचपन में थे दोनों, फूल से खिलते !

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मैं और मेरी आवारगी , बस एक नहीं कई बार तुझे, फिर से देखना चाहते हैं, हाँ ! ये दुआ मांगते हैं, जब तेरी उन्मुक्त हंसी पर, बचपन में थे दोनों फूल से खिलते, और चंचल मन के झूलों में, सपनो संग थे हवा में झूलते !   सहेलियों संग रस्सी कूदते, इक्क्ठ दुक्कठ की चौकठ चूमते, अल्लहड़ बांकपन में फिर से झूमते, और यूँ ही अकेले छत पर घुमते, खुले आसमान में खुद की स्वछन्द, उन्मुक्त ऊंची एक उड़ान ढूंढते,   और रात को उसी उड़ान से थक कर, स्टडी टेबल पर किताब संग ऊंघते, फिर खुद की इन नादानियों पे,  आपने आप में यूँ ही हँसते, पर मुझ पे जब नज़र पड़े तब, त्योरियां चढ़ा और ऐंठा मुँह बना,  तीखे नयनो से मुझे ऐवीं घूरते, फिर से देखना चाहते हैं, हाँ ! ये दुआ मांगते हैं ! वह कप और गिलास में, ज्यादा चाय लेने की लड़ाई, एक दूजे के प्लेट में धीरे से, पनीर और अंडे की चुराई, फिर उस एक प्लेट में ही, बॉर्डर खींच-खींच कर खाने की,  अनगिनत बार छिना-झपटायी ! तुमने चावल के नीचे घी छिपाकर, जाने कितनी ही बार निपटाई, और मैंने भी क्या खूब थी खाई, रात में तुझसे चुपके-छुपके, चुराई हुयी मक्खन और मलाई, पर मजे की बात तो यह थी कि, दोनों ने इस भोली व्

Divine Face

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It appears as if heavenly hew, reaches the earth as angelic rays ... There is divine light on your face !                                - Abhay Kumar Rai Lights, Action ... Camera  

जलवा

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जलवानुमा और भी हैं क़ायनात में, पर आवारगी में आवारा नज़र,  बस तुझ पर ही आकर ठहर जाती है                                                             - अभय सुशीला जगन्नाथ  जलवे हैं आपके दूर दूर तक इस ज़मीन से आसमान तक                          - अभय सुशीला जगन्नाथ  तुम क्या जानो  मोहब्बत क्या है दिल की कसक  फ्रेंड रिक्वेस्ट से निकल जाती है                      - अभय सुशीला जगन्नाथ  सब तो उनका ही दिया है हमने तो बस नाम लिया है  हर लम्हा कर्ज़दार है उनका   मात पिता ने क्या कुछ न किया है                          - अभय सुशीला जगन्नाथ  तेरी मुस्कान,  आज भी क्यों है, बसी उस गुलदान, आकर उसे भी बिखेर दो, हवाओं में उस ज़िन्दगी की, जिसमे अब ना रही, सुगंध-ए-खुशनुमा मुस्कान !                - अभय सुशीला जगन्नाथ 

WOMXNs Day

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  On this WOMXNs Day, I am thinking of women, As, thoughts lead to sight, So do I, got this insight ! Does the beauty of “Rose”, will change by another name ? No No No ! No No No ! Everyone will cry and shout, in one go ! It will still be beautiful and vibrant, to whom all the flowers of the garden, will get down on their knee and bow ! You are the same fabulous and gorgeous, “Rose” in the garden of human life, Cause of which humans scented life glows, So is what I always knew, and still knows, Your name is just another name, of that Lovely and Pretty “Rose” ! Happy WOMXNs Day ! मुझे समझ आई अब रानाई है, womxn ! तुझसे हुई जब शनासाई है...                  - Abhay Sushila Jagannath  

आधी रात

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वो पहली नज़र,  मुलाक़ात वो पहली, सुनयना की वो आँखें, कुछ पैनी तीर सी यूँ चली, झकझोर दिल की तरंगो को, प्रेम की मचा गयी घनघोर खलबली, दीवानगी को आतुर हो चला नादान दिल , छोड़ संयम और संजीदगी ! अच्छी भली !  मैं और मेरी आवारगी,  फिर आधी रात तो गुजारे, याद करते तेरे सुन्दर नैनो की, अल्लहड़ शोखियाँ कुछ मनचली, जागते जागते,  करवटे बदलते,  बाकी आधी रात कुछ यूँ ढली, जैसे पहले प्यार की पहली शमा, परवाने सिरहाने पहली बार जली !                         - अभय सुशीला जगन्नाथ