छुप छुप कर मुझे पढ़ते हो?
छुप छुप कर क्यों पढ़ते हो, ज़ज़्बातों को अल्फाजो में मेरे, शायद ढूंढते रहते हो, कि ज़ाहिर तो नहीं कर रहा, शायर-ए-फ़ितरत अदाओं को तेरे, ये दिल में अब तुम भी गढ़ लो, जो तेरा ज़िक्र कर रहा है, उस दीवाने दिल को पढ़ लो, ये क्या ! पहले अक्षर में ही गुम हो ! गौर से पढ़ो, आखिरी सांसो तक तुम हो … - अभय सुशीला जगन्नाथ ------------------------------------------------------ छुप छुप कर मुझे पढ़ते हो? "उफ" मुझ पर यु भी नजर रखते हो ! छुप छुप कर क्यों पढ़ते हो, शायरी में अल्फाजो को मेरे… सीधे दोस्त का दिल ही पढ़ लो, ये क्या ! पहले अक्षर में ही गुम हो … गौर से पढ़ो आखिरी सांसो तक तुम हो ... तेरी इबादत से दुआ मिलता रहता है, सब ठीक है दिल भी अब यही कहता है - अभय सुशीला जगन्नाथ सुना है बड़े गौर से देखते हैं वो तस्वीर हमारी, शा...