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Showing posts from November, 2019

मरना है क्या

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आदमी अगर सांसें लेना भूल जाये, तो वो जिन्दा  नहीं, आदमी के रगों में लहू दौड़ना भूल जाये, तो वो जिन्दा नहीं आदमी अगर खुदा को भूल जाये, तो वो जिन्दा नहीं, ये सांसें, ये लहू, ये खुदा, मैं और मेरी आवारगी, कैसे भूले इनको मरना है क्या  ;) ;) ;)                  - अभय सुशीला जगन्नाथ  

बाग़ में सुनयना

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जब तू सुबह सुबह, अपने बाग़ में जाती है, तो क्या तुझे पता है, सर्दियों में सर्द हवाएं , शिद्दत गर आवारा , सच्ची बारिश की फुहार सी, एक बेचैनी लिए, तुझे छूने को, तेज़ बहने लगती हैं, क्योंकि वो तेरे गालों की तपिश, और तेरे बदन की खुशबू लेकर, ज्यादा सुकून और सुगन्धित होकर, शांति और सुकून से बहना चाहती हैं, तेरी शांत और खामोश आँखों की तरह, प्रकृति की बेमिसाल कृति हो तुम, सर्दियों में उन बाग़ों के फूल, जहाँ तू बैठी होती है, और ज्यादा खिलने लगते हैं, क्यूंकि तेरे ज़ेहन-ए-जहान में, जान-ए-जहान बन, उन सर्द हवाओं संग , मैं और मेरी आवारगी, जब चुपके से गुज़रते हैं, तो अनायास ही तू मुस्कुरा देती है, तब सर्दियों में मुरझाये फूल भी, तेरी शर्मीली मुस्कान से, ऊर्जावान हो खिल उठते हैं, जैसे सूरज की किरणे ही, उनको गुदगुदा रही हो, प्रकृति के मन और आत्मा को, अपने प्यार के मार्मिक स्पर्श से, भाव-विभोर करती, सुकुमारता और कोमलता के साथ, सच्ची सुख-शांति की भाव-धारा, हौले-हौले अपनी आभा के साथ सम्मिश्रित करती, बेइंतहा खूबसूरत, सुनयना, यानि तू, बाग़ में जब भी बैठती है, तो मन के अन्त

रगों में लहू

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तू मेरे नसों में दौड़ रहा है लहू बन के ... दिल की धड़कनो में, महसूस कर मुझे, हाथ की लकीरों में, नहीं मिलूंगी तुझे , मैं तो दौड़ रही हूँ, रगों में लहू बनके ...               - अभय सुशीला जगन्नाथ -------------------------------------- आँखें तेरे इंतज़ार में बेहाल है.... तुमको हवा की पड़ी है यहाँ एक बार में दो बार हो रहा है, दुनिया को दवा की पड़ी है                           - अभय सुशीला जगन्नाथ

First and Last thing...

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The first thing, thats coming, running, and happening throughout day … The last thing, that bring, hugging, and cuddling throughout night … Is you and only you ...                    - Abhay Sushila Jagannath

मोहब्बत

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मोहब्बत जिन्हें हो गई हो किसी से मोहब्बत का अंजाम कब सोचते हैं ये ऐसा सुहाना सफ़र है कि जिसमें हजारो है नाकाम कब  सोचते हैं चिरागे वफ़ा अपनी हाथों में लेकर मोहब्बत की राहों में जो चल पड़े हैं बयाबान में होगी कि सहरा में होगी कहाँ होगी अब शाम कब सोचते हैं मोहब्बत के मारों को अब और ए दिल सताएंगी क्या सख्तियाँ जिन्दगी की जिन्हें थक के नींद आ गई पत्थरों पर वो दुनियां का आराम कब सोचते हैं ये इन्सान क्या है खुदा के भी आगे कभी प्यार दुनियां में झुकता नहीं है  प्यार झुकता नहीं है मोहब्बत ही जिनका खुदा बन चुकी हो किसी और का नाम कब सोचते हैं मोहब्बत जिन्हें हो गई हो किसी से मोहब्बत का अंजाम कब सोचते हैं मोहब्बत का अंजाम कब सोचते हैं

गुलाब आपके बालों पे

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कलियाँ, फूल, चमन, बहार, फ़िदा तेरी इन चालों पे, लगा जो सिर्फ एक खूबसूरत, गुलाब आपके बालों पे, और क़ातिल अदा से मुस्काना, जैसे तलवार गिर रही ढालों पे, फिर तौबा आपका शरमाना, कि लाली आ गयी गालों पे, आंखें हैं या इबादत गाह, सजदे में जिनके मैं हूँ दीवाना, कई सदियों से और सालों से, नाज़ुक होठ हाय में डूबे हुए, उड़ान बढ़ाती ख्यालों पे, निशब्द ! मैं और मेरी आवारगी, हुस्न के तेरे जमालों पे !!!                                 - अभय सुशीला जगन्नाथ  ------------------------------------------ सादगी पर मेरी वो मरता है, पर सजने का मन भी तो करता है, क्या पता कहने से वो डरता है                                   -  अभय सुशीला जगन्नाथ ---------------------------------------------- रंग रहा हूँ, देख तेरे रंग में, धीरे धीरे, आशिकी के संग में                   -  अभय सुशीला जगन्नाथ ---------------------------------------------- लाल छड़ी, तू क़ातिल बड़ी , जन्नत की परी, डेविल पर भरी पड़ी , घडी दर घडी, बेचैनी और बढ़ी, करीं त अब हम का करीं ...                      

कुछ दिन बिन मेरे रहो

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मेरे सब्र का वो, किस बेकद्री से, इम्तेहान लेते हैं, ये बोलकर, कि कुछ दिन, बिन मेरे रहो, तौबा खुदा ! जैसे जान लेते हैं... जान जो जान है, सांस में जा बसी है, तो जान जाएगी कहाँ, अब जब भी जाएगी, इस जहान से... तो संग लेकर जान, जाएगी अपने जहान ...                  - अभय सुशीला जगन्नाथ 

True Love Birds

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One gloomy day, I wrote… To Meet, To Know, And then to depart, Is the saddest story of human heart ! But after so many years, when I met you, Yessss Dear ! You and only you! Do you know ? I got this insight ! True love birds, Are never apart, Cause they made a start, To live in one another's heart from day one, to their breathe last, and the message they impart, through their divine love, that holy souls never depart, as if spirit is one , with two pulsating heart, miles and miles apart !                     - Abhay Sushila Jagannath

God's Grace !

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The Sun may bless, you and lovely family, and showers God’s grace, for health and wealth, cheers and happiness ! On the auspicious occasion of, Mahaparv Chhath and always ! Happy Chhath Pooja !

षष्ठी देवी और उषा

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षष्ठी देवी और उषा का पौराणिक सम्बन्ध, सूर्य की उपासना से, यूँ ही नहीं जुड़ा हुआ है, आओ आज तुम्हें , तुम्हारी महत्ता बताता हूँ, क्या तुम को पता है, कि तुम दैवीय रूप में , विश्व कल्याण के लिए लाई गयी हो, इसकी शुरुआत कैसे हुयी? चलो सुनाता हूं ! सभी देवी देवताओं ने, सूर्य को अत्यधिक तेज़ दे दिया, जिससे समस्त जीव के, जल जाने की आशंका थी, अतः देवी देवताओं ने , उसको शांत रखने वाली, सूर्य जैसी ही लालिमा लिए , शांत शीतल बेला बनाई; उषा ! उषा ; सूर्य के प्रकाश को धीरे धीरे, धरती पर लाने वाली , उसकी प्यारी खूबसूरत बहन ! उषा जग में पहले स्वयं आकर, पूरे संसार को जगाती है, और फिर सूर्य को बुलाती है, और धीरे धीरे उसके तेज़ को बढाती है ! फिर जब संसार को जीवन दायिनी ऊर्जा, और पर्याप्त तेज़ , सूर्य प्रदान कर देता है , तब उसको धीरे धीरे सूर्यास्त की ओर, अग्रसित कर देती, और स्वयं भी , अगले दिन की तैयारी में लग जाती है ,  निरंतर .... प्रतिदिन ! षष्ठी देवी और उषा का पौराणिक सम्बन्ध, सूर्य की उपासना से यूँ ही नहीं जुड़ा हुआ है, सूर्य की बहन ही षष्टी देवी अर्थात उषा हैं , सूर