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Showing posts from July, 2021

शब् के जागे तारो को, अब कहाँ नींद आने को है

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देखो शब् के जागे तारो को, अब कहाँ नींद आने को है, सुना है इस चांदनी रात मुझे, कोई फिर से मुझे जगाने को है  , और सुनहरे ख्वाबो व् ख़यालों सी, परियों की दुनिया में ले जाने को है    इश्क़ की इस सावन-ए-बारिश में, आज हम झमाझम नहाने को हैं, ज़रा जम के बरसना ऐ बादल ! मेरे मेहबूब भी तेरे टक्कर में, मुझ पर इश्क़-ए-मोहब्बत, बे-इन्तेहा छमाछम बरसाने को हैं,   बादलों की बूंदे चाहे अब जितना बरसे, भला अब इनसे क्या मेरी प्यास बुझेगी, अब तो बात कुछ तभी बनेगी, जब ख्वाबों और ख्यालों में ही सही, तेरी बाँहों के आगोश में, ये सुरमई चांदनी रात कटेगी, तू इतनी सुन्दर है कि, फूल भी तुझसे शरमाने को हैं,  चल जा काला टीका लगा ले, यह जलकुकड़ि चाँद , तुझे आज नज़र लगाने को है !   मेरी आवारगी ! मुझे देख बार बार मुस्कुराये, अब यूँ तू ही बता दिल-ए-आवारा,  कैसे दोनों को भला नींद आये, जब आवारा मैं, एक नायाब सामान ले आया, देख तेरी आवारगी में, एक अप्सरा का गुमान ले आया, खुदा भी तुझे देख सोचता होगा, इस पारी को जन्नत से उतार, ये मैं किस जहान ले आया                              - अभय सुशीला जगन्नाथ 

वही पुराना....दिलकश ज़माना

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तुझे देख दिल कह रहा है, चल शुरू करें वही बीता अफसाना, शाम की मौशिकी से शुरू करेंगे, फिर से एक खुशनुमा शाम बिताना,  और नैना चार कर याद करेंगे,  तेरी आशिक़ी और अपनी दीवानगी का, इश्क़ और मोहब्बत भरा,  वही पुराना....दिलकश ज़माना                            - अभय सुशीला जगन्नाथ

Cheers & Joy a ton, on Birthday

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A Birthday full of fun A day that would bring, Cheers & Joy a ton, May all your wishes, that haven’t been fulfilled yet, Get down into your lap, making this B’Day, the day, that you will never forget… Hope it shouldn’t be delayed, to get all successes down your feet, and won’t be a second late, Wishing you a Very Happy B’day, Right from my heart to yours straight ! Wish A Very Very Happy B’Day                                     - Abhay Sushila Jagannath

MNIT गुंजन

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आज पुरानी एक संदूक खुली,  उसमे "सुलेखा" की स्याही और,  "गोल्डन निब" की कलम मिली ! पहले तो वो मुस्कुराई,  फिर कुछ इतराई ! उसके इतराते ही मेरे ज़ेहन में, कोरे कोरे सुगन्धित कागज़ों पर, उसके बलखाते और इतराते, लहराकर चलने की याद आयी ! क्या समन्वय और सामंजस्य था, जैसे रूहानी इश्क़ की गहराई ! इश्क़ ही तो था ! मेरा पहला इश्क़ ! मन में तो मैं थी सोचती, पर मेरी कलम करती थी,  कोरे कागज़ो पर चलकर,  दूसरों के दिलों में मेरी शनासाई, पर आज उसके संदूक से निकलते ही, एक शिकायत की आवाज़ आयी,  अब तो तुम कंप्यूटर,  और मोबाइल ले आई,  भला आज मेरी याद, तुझे कैसे और क्यों है आयी ? मैं चुप थी, क्या बोलती ? परन्तु मैं भी अपने पुराने इश्क़ को, ऐसे कैसे रूआंसा छोड़ती, सो मैंने भी मुस्कुरा कर,  कुछ लाइनें कलम पर ठोक दी ....   जानती हो ! अपने पहले प्रेम से, मैं प्यार क्यों करती हूँ बेहिसाब ? क्योंकि मुझे पता है,  जिस दिन होगा मोहब्बत का हिसाब, मुझे कर्ज़दार बताएगी,  तेरे इश्क़ की किताब ! कलम भी समझ रही थी, कि पुराने पन्ने पलटने हैं मुझे, इसीलिए मैं आज लैपटॉप,  और मोबाइल को छोड़, "सुलेखा" और "

इसी तस्वीर से शुरू हुआ .....

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 सुनयना !  सुनो न सुनयना ! तुमको एक बात है सुनाना, और कुछ दिखा, याद है दिलाना, इसी तस्वीर से शुरू हुआ ..... एक सिलसिला बहुत पुराना,  पर सदबहार और सुहाना ! मैं और मेरी आवारगी  आज तक उस बात को, और इस तस्वीर को, दिल में बसा-छिपा रखे है, सुनो न सुनयना ! तुम भी किसी को मत बताना .....                            - अभय सुशीला जगन्नाथ 

बारिशों का पानी, छोटी सी कहानी

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सावन के काले बादलों सी, तेरे ज़ुल्फ़ों सी रवानी, रिमझिम बारिशों का पानी, याद आयी एक छोटी सी कहानी, खूबसूरत छोटी सी कागज़ी नाव, आवारा हवा मदमस्त मांझी, ख्यालात-ए-इश्क़ की बूँदें, तुझे छत पर भिगो रही हैं, और मैं नीचे भीग रहा हूँ.... उसी गली की उसी छत पर, एक बार तू फिर से आ, पर इस बार, मुझको नहीं ! मेरी रूह को भिगो जा....                  - अभय सुशीला जगन्नाथ  ..................................................................... बारिशों का पानी, छोटी सी कहानी, खूबसूरत कागज़ी नाव, आवारा हवा मदमस्त मांझी, ख्यालात-ए-इश्क़ की बूँदें, तुझे छत पर भिगो रही हैं, और मैं नीचे भीग रहा हूँ.... उसी गली की उसी छत पर, एक बार तू फिर से आ, पर इस बार, मुझको नहीं ! मेरी रूह को भिगो जा....                         - अभय सुशीला जगन्नाथ 

कर्ज़दार-ए-मोहब्बत

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हमारी तुम्हारी कुछ पन्नों की किताब है है हिसाब कुछ दूरियों का, बाकि इश्क़ बेहिसाब है             - ...... जानती हो मैं प्यार क्यों करता हूँ बेहिसाब  क्योंकि मुझे पता है  जिस दिन होगा मोहब्बत का हिसाब  मुझे कर्ज़दार बताएगी  तेरे इश्क़ की किताब                 - अभय सुशीला जगन्नाथ  जानती हो  मैं प्यार बेहिसाब क्यों करता हूँ, क्योंकि मुझे पता है  जिस दिन इश्क़ का हिसाब हुआ, कर्ज़दार भी मैं ही नुकलूँगा                           - अभय सुशीला जगन्नाथ 

अपनी मोहब्बत कैसी रही

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 मैं और मेरी आवारगी, सोचते हैं कभी कभी, अपनी मोहब्बत कैसी रही, फिर खयाल आया अभी अभी, एक थी इकलौती ज़िन्दगी, जो मौत तक सांस संग चली, सफ़र-ए-मोहब्बत में आवारा, मेरी आवारगी कुछ यूं ढली ...              - अभय सुशीला जगन्नाथ