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Showing posts from August, 2019

Destiny किस्मत

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God will give you all, Written on your future wall, But my today’s call, May God  give you, all in all, Success and Happiness, That he forgot to write, On your destiny wall !                     - Abhay Sushila Jagannath भाग्य में जो लिखा, वो तो भगवान देगा, आज मेरी यही दुआ, वो खुशियां मिले तुझे, जो तेरी किस्मत में, लिखना भूल गया खुदा !                                     - अभय सुशीला जगन्नाथ 

खुदा की पनाहगाह

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सहर-ए-आफ़ताब, या शब्-ए-माहताब, क्या कहें तुझे ऐ जनाब, पाक खुदा सा तू शादाब, तू क्या सचमुच में है भी, या रोज़ देखता हूँ, मैं कोई ख्वाब ! काली रेशमी जुल्फें, हवा में यूँ लहराए, जैसे काले बादल, सावन की घटाएं, जो यूँ तो हर वक़्त, सुकून-ओ-चैन बरसाए, पर तेरे पाकीज़ा चेहरे को, किसी बला की नज़र न लगे, इसीलिए पहरा देती रहती हैं, नक़ाब बनकर काली ज़ुल्फ़ें, जैसे स्वयं काली बलाएं ! तेरे माथे की पाक तासीर, जिस पर मुस्कान संग पड़ी, तो क़दमों में मोहब्बत की जागीर, गर टेढ़ी ! संग नैन शमशीर, तो क़हर बेमिसाल, बेनज़ीर ! तौबा ये दीवानों की तलब, तेरे मुस्कान पर बिखरते, खुशनुमा फूलों की ललक, शर्म-ओ-हया से लाल गाल, और हलकी मुस्कान से बनते, वो छोटे हसीन तलाब-ताल, उसमें एक कँवल चेहरे की, तौबा वो खूबसूरत झलक, ख़ुदा भी देख रहा एक टक, अपनी ही ख़ुदाई अब तलक ! उस जन्नत के पाकीज़ा दरख़्त, तेरे गर्दन से मिसाल ले, हो चले कहीं नाज़ुक कहीं सख्त ! तेरा बदन, एक आग का दरिया, हूर-ओ-अप्सरा सा तराशा हुस्न, तपिश में भी जैसे, शरद मौसम का जरिया, पर तेरी अल्लहड़ अंगड़ाई पर, दहक उठे, फिर वही आग का द

सावन में बारिश क्यों होती है !

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वैसे तो तुमने, दादी नानी और माँ से, बहुत सी कहानियां, सुनी होगी, पर चलो आज मैं तुम्हे, एक कहानी सुनाता हूँ, बहुत समय पहले, धरती पर, भीषण अकाल पड़ा, लोग दाने दाने को, तरस गए, ऐसा लगा जैसे, प्रलय आ गया, तब धरा के लोगों ने, प्रलयंकारी शिव की, आराधना और पूजा, शुरू कर दी, महीनो की कठिन पूजा से, शिव प्रसन्न हुए, और अपनी जटा से, गंगा की अविरल धारा, धरती की और मोड़ दिया, और उसी गंगा के किनारे, धन धान्य से परिपूर्ण, काशी नगरी बसाई, गंगा के किनारे बसे लोग, ख़ुशी से झूम उठे, परन्तु जो गंगा से, दूर दराज़ के लोग थे, वो भगवान् शिव से, शिकायत करने लगे, तब धरती के, सर्व जन कल्याण हेतु, शिव ने शक्ति को,  धरती पर भेजने की, तैयारी शुरू की, और भक्त अपने को, सौभाग्यशाली मान, उनकी कठिन पूजा, करने में लग गए, पर जब शक्ति, धरती पर आने को, तैयार हो रही थी, तब सब देवी देवता, परियों अप्सराओं के संग, बहुत रो रहे थे, देवताओं परियों अप्सराओं को, रोता हुआ देख, धरती के लोगों ने, शक्ति की रक्षा के लिए, रक्षाबंधन उत्सव

बोलती है खामोश तस्वीर भी तेरी !

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मैं और मेरी आवारगी, शिद्दत से जब भी, देखते हैं तस्वीर तेरी, खुद को देख आँखों में मेरी , बोलती है खामोश तस्वीर भी तेरी ! मेरी आवारगी के आवारापन में, बेइंतहा खूबसूरत आंखें तेरी, यादों के खुशनुमा रंग घोलती है, उन यादों में गुमसुम, जब मैं और मेरी आवारगी, तेरी ख़ामोशी से कुछ बोलती है, तब मेरी तन्हाई, तेरी ख़ामोशी तोलती है, फिर तेरी खामोश तस्वीर, खुद-ब-खुद ही मेरे लिए, अपने हसीन लब खोलती है, और उन लबों के अल्फ़ाज़ों को, जज़्बातों में पिरोने को, मेरी बेताब कलम डोलती है, कलम उठा तेरे अल्फ़ाज़ों को, पिरोता हूँ जब उन ज़ज़्बातों में, तब जाने क्यों ये दुनिया, उसे कविता और शायरी बोलती है !                               - अभय सुशीला जगन्नाथ 

A Rainbow, in Poet's Cloud,

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Hey You ! Yeah You! The ..... ! An Angel ! Beautiful & Proud, A Rainbow, in Poet's Cloud... Bring the colors from rainbow Bring flowers of all those colors Bring fragrance of all those flowers Bring the moments of everlasting fragrance Wish your life be full of those scenting moments                                         - Abhay Sushila Jagannath ----------------------------------------------------- I laugh and smile, With your signature style, F U N T A S T I C                           - Abhay Sushila Jagannath                  

Ten More Days to Go

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Ten more days to go, for blooming B’Day glow, on the beautiful face, that I miss, So for you, today I wish, Happiness comes first, and not only this, for all opportunities, you deserve the bliss ! Have joyful B’day, with cheers all the way, Forever from today                - Abhay Sushila Jagannath ---------------------------------------------------- Laughter and fun, For Twinkling Star, Be it Special B’Days ! Or tomorrow so far … Wish your ways, Be full of roses, On B’Days & Always ! Sunny rays, Blossom ways, Be it usual-normal, or Special B’Days !                - Abhay Sushila Jagannath

Smartphone की मस्ती के, मस्ताने हज़ारों हैं !

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Smartphone की मस्ती के, मस्ताने हज़ारों हैं, Social Media के बावस्ता, अफ़साने हज़ारों हैं ... एक तुम ही नहीं Block, WhatsApp पर उनकी रुस्वा, उस लिस्ट में तुम जैसे, Insta दीवाने हज़ारों हैं ... इक सिर्फ वही FB को, बस अपनी Like से चलाते हैं, कहने को दुनिया में, Followers हज़ारों हैं ... इस शम-ए-फ़रोज़ाँ को, DATA से डराते हो, इस शम-ए-फ़रोज़ाँ के, WiFi पासवर्ड हज़ारों हैं ... कभी दो आँखों की मस्ती के, दीवाने हज़ारो थे, अब Dual Sim के बावस्ता, अफ़साने हज़ारों हैं ...                    -  अभय सुशीला जगन्नाथ 

मुझमे ऐसा क्या ख़ास है

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वो मुझसे कहते हैं, मुझमे ऐसा क्या ख़ास है, जो हर वक़्त तुझे, मुझसे ही मिलने कि आस है, मैने कहा, उनसे जाकर अपनी कमी पूछ, जिनके नहीं तू पास है, शायद वो भी यही कहेंगे, ज़िंदा रहने के लिए जैसे, ज़रूरी हर सांस है, वैसे ही तू भी खास है !            - अभय सुशीला जगन्नाथ  

मैं तुझपे मरता हूँ

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दोस्त कहते है, सिर्फ बोलने के लिए, मैं तुझपे मरता हूँ, उन्हें क्या पता, गर मारा तो तू मुझे, सीने में न दफना ले, इसलिए मरने से डरता हूँ, तेरी और एक बात, कि मौत तो सबको है आती, पर दोस्ती हर किसी को नहीं आती, हाँ वही दोस्ती ! जो मुस्कान चेहरे पर है लाती, और खुसबू साँसों में बस जाती, जो तू बचपन से है बताती, अक्सर याद करता हूँ, दोस्त ! अब तु ही बता, मैं क्या गलत करता हूँ, जो कहता हूँ, कि मैं तुझपे मरता हूँ !                            - अभय सुशीला जगन्नाथ 

चौदवीं के सावन में वो, चौदवीं का चाँद

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अब की सावन की घटाएं, बदली बदली सी नज़र आती है, तुझपर कुछ लिखने को, बेताब सी कर जाती हैं, जाने कितने मौसम चले गए, पर चौदवीं के सावन की वो बूंदे, वो तेरी पहली बारिश, मेरे ज़ेहन में यादों की, घनघोर बारिश कर जाती है, आ चल इस सावन ले चले तुझे, उसी चौदवीं के सावन में, जहाँ मैं और मेरी आवारगी, आवारा हवाओं-घटाओं के संग, बस यूँ ही, अक्सर चली जाती है ! एक भोली और मासूम, नाज़ुक सी लड़की, नव यौवन की दहलीज़ पर, मुस्कुराती है, खिलखिलाती है, मासूमियत से भरे अल्हड़पन में, इठलाती है, बलखाती है, और आईने पे खड़ी हो जाती है, अब हर रोज़ वो खुद को, उस आईने में निहारती है, और विस्मित हो जाती है, दिन-ब-दिन निखरते यौवन पर, वो बस यूँ ही शरमा जाती है ! जैसे चौदवीं के सावन में वो, चौदवीं का चाँद नज़र आती है ! भीगे बालों को झटक कर, बिना शाना के, दाएं बाएं शानो पर, एक अदा से घुमाती है, तौबा खुदा ! बादलों से जैसे बारिश गिराती है, और भीगी ज़ुल्फ़ों से खुद को, संवारती है , सजाती है, उन बादलों के बीच से आईने में, इंद्रधनुषी रूप को निहारती है, फिर अपना हुस्न-ए-मिसाल देख, खुद से ही शरमा जात